योगी को सौंपी गई गोरखपुर आक्सीजन हादसे की रिपोर्ट, अनिता भटनागर हटीं
गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत मामले में मुख्य सचिव ने जांच रिपोर्ट आने के बाद शासन ने अनिता भटनागर जैन को हटा दिया है।
लखनऊ (जेएनएन)। गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के मामले में मुख्य सचिव राजीव कुमार ने मंगलवार को अपनी जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी। राज्य सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने रिपोर्ट के तथ्यों को बाद में सामने रखने की बात कही लेकिन इसी के कुछ देर बाद शासन ने अनिता भटनागर जैन को हटा कर प्रमुख सचिव राजस्व रजनीश दुबे को चिकित्सा शिक्षा विभाग का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया। इस मामले से जुड़े कुछ प्रमुख लोगों पर एफआइआर दर्ज कराए जाने की चर्चा भी देर शाम तक बनी हुई थी।
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बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 10 व 11 अगस्त को अधिक बच्चों की मौत होने के लिए ऑक्सीजन की कमी को जिम्मेदार बताया जाने लगा तो आनन-फानन में गोरखपुर के जिलाधिकारी को जांच सौंप दी गई। डीएम की रिपोर्ट में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य से लेकर कई अन्य जिम्मेदार डॉक्टरों को लापरवाही का तो दोषी माना गया, लेकिन ऑक्सीजन की कमी की बात नहीं कही गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिलाधिकारी की जांच रिपोर्ट को आधार बनाते हुए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जांच समिति गठित कर एक हफ्ते में रिपोर्ट मांगी थी। टीम में स्वास्थ्य सचिव आलोक कुमार, वित्त सचिव मुकेश मित्तल और पीजीआइ के चिकित्सा अधीक्षक डॉ.हेमचंद्र को शामिल किया गया था।
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ऊपर तक थी जानकारी
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के बाद कई स्तरों पर अधिकारियों की उदासीनता और लापरवाही की बातें सामने आई थीं। बताया गया था कि ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाली फर्म ने कॉलेज के प्राचार्य से लेकर महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा और अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा तक को कई पत्र भेजे थे, फिर भी किसी ने इसे गंभीरता से लेकर भुगतान के लिए तत्परता नहीं बरती। आखिरकार ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद हो गई लेकिन, तब पूरा सिस्टम गोरखपुर की ओर दौड़ उठा।
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डीएम रिपोर्ट में थे आठ दोषी
गोरखपुर के जिलाधिकारी की जांच रिपोर्ट में बीआरडी कॉलेज के प्राचार्य डॉ.राजीव मिश्र को जहां ऑक्सीजन का समय से भुगतान न करने का दोषी माना गया था, वहीं ऑक्सीजन आपूर्ति के जिम्मेदार एनेस्थीसिया विभाग के एचओडी डॉ.सतीश को बिना अनुमति और बिना किसी को जिम्मेदारी सौंपे मुंबई चले जाने का दोषी पाया गया था। 100 बेड एइएस वार्ड के नोडल प्रभारी डॉ.कफील खान को सिलसिलेवार कई गड़बडिय़ों के लिए दोषी माना गया, जबकि स्टॉक रजिस्टर और ऑक्सीजन की लॉग बुक में हेराफेरी के लिए चीफ फार्मासिस्ट गजानन जायसवाल को भी जिम्मेदार माना गया था। इसी तरह बजट मिलने के बाद समय से प्राचार्य को सूचना न देने और ऑक्सीजन भुगतान की पत्रावली प्रस्तुत न करने के लिए लेखा अनुभाग के कार्यालय सहायक उदय प्रताप शर्मा, लेखा लिपिक संजय कुमार त्रिपाठी और सहायक लेखाकार सुधीर कुमार पांडेय को दोषी माना गया था। इसी तरह ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाली फर्म पुष्पा सेल्स को भी सप्लाई बंद करने का दोषी माना गया था। डीएम की रिपोर्ट में हालांकि प्राचार्य डॉ.राजीव मिश्र की पत्नी डॉ.पूर्णिमा शुक्ला का नाम नहीं था, लेकिन बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हर खरीद पर कमीशन लेने के मामले में डॉ.शुक्ला को ही मुख्य सूत्रधार माना जा रहा था। आयुष विभाग ने उच्चस्तरीय जांच में दोषी पाए जाने के बाद डॉ.शुक्ला को निलंबित कर दिया था।
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