शहर में मेट्रो को मिली गति
गोरखपुर : 2014-15 में जीडीए के तत्कालीन मुख्य अभियंता संजीव सिन्हा ने शासन व लखनऊ मेट्रो रेल कारपोर
गोरखपुर : 2014-15 में जीडीए के तत्कालीन मुख्य अभियंता संजीव सिन्हा ने शासन व लखनऊ मेट्रो रेल कारपोरेशन को पत्र लिखकर गोरखपुर में मेट्रो चलाने की संभावना जताई थी। उन्होंने मुख्य रूप से इस बात पर बल दिया था कि अभी गोरखपुर विकासशील शहर है, इसलिए बहुत जगहों पर मेट्रो को अंडरग्राउंड नहीं ले जाना पड़ेगा, इससे खर्च कम आएगा। इस बात को उस समय किसी ने गंभीरता से नहीं लिया था। लेकिन जब योगी आदित्यनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए तो मुख्यमंत्री बनने के दो सप्ताह बाद ही गोरखपुर में मेट्रो चलाने की संभावना तलाशी जाने लगी और शासन ने इसके सर्वे के लिए हरी झंडी दे दी।
सर्वे के लिए हरी झंडी मिलने के बाद लखनऊ मेट्रो रेल कारपोरेशन के निर्देशन में महानगर की भौगोलिक स्थिति के अध्ययन, परियोजना पर आने वाले खर्च और मेट्रो के गुजरने वाले क्षेत्र की विस्तृत रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने में राइट्स के अधिकारी जुट गए।
यह योगी के सूबे की कमान संभालने का ही परिणाम है कि शासन ने उनके शहर गोरखपुर की बढ़ती जनसंख्या और वाहनों के बढ़ते दवाब की समस्या को दूर करने के लिए यहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट प्रणाली विकसित करने का फैसला लिया। शासन का मानना है कि शहर के वर्तमान मार्गो की चौड़ाई बढ़ाने की संभावनाएं बेहद कम हैं। ऐसे में सुव्यवस्थित व तीव्र गति से अवरोध विहीन प्रणाली का विकास यहां जरूरी है। सर्वे रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी भारत सरकार की अनुभवी व विशेषज्ञ संस्था राइट्स को सौंपी गई।