जीएसटी : कानून एक- समाधान अनेक
गोरखपुर : जीएसटी यानि गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स को देश में लागू होने में अब महज चंद रोज ही शेष हैं। क
गोरखपुर : जीएसटी यानि गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स को देश में लागू होने में अब महज चंद रोज ही शेष हैं। कर प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन वाली इस व्यवस्था को लेकर तमाम आशंकाएं और सवाल होने लाजिमी हैं। वास्तव में यह एक ऐसा टैक्स है जो हमें करों के भारी जाल से मुक्ति दिलाएगा। यही नहीं सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने और तरह-तरह के फार्म भरने का दौर भी अब खत्म हो जाएगा। जरूरत इस नई प्रणाली को लेकर घबराने की नहीं, इसे समझने और आत्मसात करने की है। एक जुलाई से यह एक हकीकत बनने जा रहा है।
उक्त बातें दैनिक जागरण के पाक्षिक विमर्श श्रृंखला में सोमवार को कराधान विशेषज्ञ और चार्टर्ड अकाउंटेंट प्रवीण अग्रवाल ने कहीं। 'क्या जीएसटी पूरी करेगा सबकी उम्मीदें' विषय पर अपने व्याख्यान में उन्होंने कहा कि यह एक कानून जटिल कर प्रणाली के समाधान का रास्ता है। जीएसटी आने के बाद बहुत सी चीजें सस्ती हो सकती हैं, हालांकि कुछ जेब पर भारी भी पड़ेंगी। लेकिन सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि टैक्स का पूरा सिस्टम आसान हो जाएगा। 15 से ज्यादा टैक्सों से मुक्ति मिलेगी और पूरे देश में होगा सिर्फ एक टैक्स जीएसटी।
टैक्स का झंझट होगा खत्म : चार्टर्ड अकाउंटेंट प्रवीण अग्रवाल ने कहा कि जो सामान हम खरीदते हैं, अभी उस पर लगने वाले सभी टैक्सों की हमें कोई जानकारी नहीं होती। फैक्ट्री से निकलते ही सामान पर सबसे पहले लगती है एक्साइज ड्यूटी। कई मामलों में एडिशनल एक्साइज ड्यूटी भी लगती है। इसके अलावा टैक्स का एक बड़ा हिस्सा होता है सर्विस टैक्स। अगर रेस्त्रां में खाना खाते हैं, मोबाइल बिल मिलता है या क्रेडिट कार्ड का बिल आता है, तो हर जगह यह लगाया जाता है जो 15 फीसदी तक होता है। जैसे ही सामान एक राज्य से दूसरे राज्य में जाता है तो सबसे पहले देना होता है सेंट्रल सेल्स टैक्स। इसके अलावा अलग-अलग मामलों में अलग-अलग सेस भी लगता है। सेंट्रल सेल्स टैक्स के बाद उस राज्य में वैट लगता है, जहां सामान पहुंचता है। इसके अलावा मनोरंजन व लग्जरी टैक्स भी लगते है। साथ ही कई मामलों में परचेज टैक्स भी देना होता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अभी अलग-अलग 15 टैक्स आमतौर पर लगते हैं, लेकिन जीएसटी आने के बाद ही ये सारे टैक्स एक झटके में खत्म हो जाएंगे।
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जीएसटी : खास बातें
- जीएसटी में तीन अंग हैं। केंद्रीय जीएसटी, राज्य जीएसटी और इंटीग्रेटेड जीएसटी।
-जीएसटी प्रणाली के तहत देश में 5, 12, 18 और 28 फीसदी की चार कर दरें होंगी। 28 फीसदी वाले स्लैब में जो सामान आएंगे उन पर अलग से सेस भी लगाया जा सकता है। एक स्लैब जीरा रेटेड भी है, जिसमें आवश्यक वस्तुएं शामिल होंगी। इसी श्रेणी में चावल, दाल समेत सभी खाद्यान्न रखे गए हैं।
-जीएसटी के लागू होने के बाद एक्साइज ड्यूटी, वैट, सर्विस टैक्स, सेस, एंट्री टैक्स, सेल्स टैक्स जैसे कई और तरह के टैक्स समाप्त हो जाएंगे।
-जीएसटी लागू होने से पूरे देश में किसी भी सामान को खरीदने के लिए एक ही टैक्स चुकाना होगा। यानी पूरे देश में किसी भी सामान की कीमत एक ही रहेगी।
- नई व्यवस्था से बार-बार टैक्स देने से छुटकारा मिल जाएगा।
- इसके लागू होने से टैक्स का ढांचा पारदर्शी होगा, जिससे काफी हद तक टैक्स विवाद कम होंगे।
- जीएसटी लागू होने पर कंपनियों और व्यापारियों को भी फायदा होगा। सामान एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में कोई दिक्कत नहीं होगी। जब सामान बनाने की लागत घटेगी तो इससे सामान सस्ता भी होगा।
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यह हैं प्रावधान :
- 20 लाख तक के वार्षिक टर्नओवर वाली फर्म के जीएसटी में पंजीयन की जरूरत नहीं है, लेकिन अगर कोई स्वेच्छा से पंजीयन कराएगा तो उस पर भी जीएसटी के सभी प्रावधान लागू होंगे।
- जीएसटी में 3 रिटर्न भरने का प्रावधान है। पहला जीएसटीआर -1 है। इसके माध्यम से अगले माह के प्रथम 10 दिनों के भीतर विक्रय का ब्योरा देना होगा। दूसरा रिटर्न जीएसटी आर-2 है, जिसके माध्यम से खरीद किए गए माल का विवरण 15 तारीख तक देना होगा। तीसरा रिटर्न जीएसटीआर- 3 है जिसका प्रयोग करते हुए अगले माह की 20 तारीख तक टैक्स भुगतान के साथ मासिक रिटर्न भरना होगा। हालांकि सरकार ने जीएसटी लागू होने के प्रथम दो महीनों में मासिक रिटर्न भरने की तिथियों में सहूलियत दी है।
- वैट पंजीकृत व्यापारी जिसने पिछले छह माह का रिटर्न भरा है उसे 30 जून 2017 के रिटर्न के आधार पर वैट का इनपुट क्रेडिट मिल जाएगा। यही नहीं इन व्यापारियों को 30 जून के बचे हुए स्टाक की जानकारी भी विभाग को नहीं देनी होगी। इसके लिए उन्हें एक जीएसटी ट्रान -1 रिटर्न 90 दिन के भीतर भरकर अपना क्लेम बताना होगा।
- अगर कोई भी व्यापारी वैट में पंजीकृत नहीं है और जीएसटी में पंजीयन कराता है, तो 30 जून को उसके पास बचा हुआ वह स्टाक जिस पर उसने वैट का भुगतान किया है और उसका प्रमाण भी है तो वह भी 30 जून को अपने स्टाक का ब्योरा अगले 90 दिन के भीतर देकर वैट इनपुट क्रेडिट का लाभ ले सकता है। हालांकि इसके लिए जरूरी है कि खरीद बिल एक साल से पुराना न हो।
-ऐसे निर्माता जो एक्साइज में रजिस्टर्ड नहीं है, उनके पास 30 जून को जो बचा हुआ माल होगा और अगर वह एक्साइज ड्यूटी देने का प्रमाण दे सकते हैं तो वह भी 90 दिन के भीतर जीएसटी ट्रान -1 भरकर एक्साइज क्लेम का लाभ ले सकते हैं।
- अगर किसी व्यापारी के पास 30 जून को बचा हुआ स्टाक है और उसके पास वैट या एक्साइज अदा करने का प्रमाण नहीं है तो उनके लिए डीम्ड क्रेडिट 40 से 60 फीसद के प्रावधान किए गए हैं।
- पिछले वित्तीय वर्ष में 75 लाख रुपये तक के टर्नओवर वाली फर्मो को कंपोजिशन स्कीम का लाभ मिल सकेगा।
- नई प्रणाली में रिटर्न रिवाइज करने की सुविधा नहीं होगी।