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मंगल पर जिन्दगी तलाश रहा विश्वविद्यालय

गोरखपुर : वातावरण में ब्लैक कार्बन और एयरोसोल के अध्ययन पर किए जा रहे कार्य से खुश होकर इंडियन स्

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Mar 2017 01:39 AM (IST)Updated: Wed, 29 Mar 2017 01:39 AM (IST)
मंगल पर जिन्दगी तलाश रहा विश्वविद्यालय
मंगल पर जिन्दगी तलाश रहा विश्वविद्यालय

गोरखपुर :

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वातावरण में ब्लैक कार्बन और एयरोसोल के अध्ययन पर किए जा रहे कार्य से खुश होकर इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) ने गोरखपुर विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग को एक और बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। इसरो की ओर से विभाग को मंगल ग्रह पर जिंदगी की संभावना तलाशने को कहा गया है। जिम्मेदारी मिलते ही विभाग के प्रो.शातनु रस्तोगी के नेतृत्व में बनी टीम ने इस पर अध्ययन शुरू कर दिया है। इसरो के अहमदाबाद स्थित स्पेस एप्लिकेशन सेंटर के बाद मंगल पर मिथेन का अध्ययन करने वाला देश का दूसरा सेंटर है गोरखपुर विश्वविद्यालय।

पृथ्वी पर वातावरण में मिथेन की मौजूदगी पर शोधार्थी डा.प्रभुनाथ सिंह ने बेहतरीन कार्य किया तो उनके शोध निर्देशक प्रो.शांतनु रस्तोगी ने मंगल पर मिथेन की मौजूदगी के अध्ययन का हौसला जुटा लिया। प्रो.शांतनु की अगुवाई में विभाग की ओर से पिछले वर्ष 'स्टडी ऑफ पासिबल रिमोट सेंसिंग ऑफ मिथेन ऑन मार्स यूजिंग डाटा प्रोडक्ट ऑफ मिथेन सेंसर ऑफ मार्स' प्रोजेक्ट पर कार्य के लिए इसरो में आवेदन किया गया। विषय से प्रभावित होकर इसरो की अहमदाबाद विंग (स्पेस एप्लिकेशन सेंटर) ने पिछली जुलाई में प्रो.शांतनु को प्रोजेक्ट की मौखिक प्रस्तुति के लिए बुलाया। प्रस्तुति का आधार इतना मजबूत था कि इसरो ने विश्वविद्यालय को मंगल पर मिथेन के अध्ययन की जिम्मेदारी सौंप दी और इस कार्य के लिए प्रथम किस्त के रूप में 22 लाख रुपये भी आवंटित कर दिए। इसरो की ओर से अध्ययन के लिए विभाग को तीन वर्ष का समय दिया गया है। इस दौरान अध्ययन टीम पांच नवंबर 2013 को मंगल पर भारत की ओर से भेजे गए मंगलयान में लगे पांच यंत्रों में से एक मिथेन सेंसर ऑफ मार्स (एमएसएम) से मिले डाटा का अध्ययन और विश्लेषण करेगी। अध्ययन की पहले सालाना रिपोर्ट भेजनी होगी और तीन साल बाद अंतिम विश्लेषण से इसरो को अवगत करना होगा। विभाग ने अध्ययन कार्य शुरू कर दिया है। इसकी शुरुआत स्पेक्ट्रोस्कोपी विधि से सैद्धांतिक अध्ययन के रूप में हो चुकी है। इसके साथ ही मंगलयान से मिल रहे डाटा का सूक्ष्म निरीक्षण भी किया जा रहा है।

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मिथेन मिला तो समझिए जिंदगी मिली

मिथेन एक बायो प्रोडक्ट गैस है। यदि यह किसी भी स्थान पर वह मौजूद है, इसका मतलब है कि वहां या तो जीवों की मौजूदगी है या फिर कभी रही होगी। मंगलयान में लगे यंत्रों में मिथेन सेंसर फार मार्स 'एमएसएम' लगाया गया है, जो मंगल पर मिथेन की मौजूदगी पर कार्य कर रहा है। यह यंत्र मंगल पर जमीन के ऊपर और नीचे हर स्थान पर मिथेन तलाश रहा है। इस यंत्र से मिले डाटा पर अध्ययन के लिए ही इसरो ने हम पर भरोसा जताया है। अध्ययन के लिए हमें इसरो की ओर से एक पासवर्ड दिया गया है, जिससे एमएसएम का डाटा इंटरनेट के माध्यम से हमें सीधे मिल रहा है। इस पर अध्ययन व विश्लेषण शुरू कर दिया गया है। प्रोजेक्ट की नींव रखने वाले डा.प्रभुनाथ प्रसाद बतौर रिसर्च एसोसिएट इस अध्ययन में मेरी मदद कर रहे हैं। अध्ययन पूरा करने के बाद माडल तैयार किया जाएगा और उसे इसरो का सौंप दिया जाएगा।

प्रो. शांतनु रस्तोगी, पि्रंसिपल इन्वेस्टीगेटर


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