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शिक्षा की बगिया में 'संस्कारों' की परीक्षा

गोरखपुर : शिक्षा की बगिया यानी स्कूलों में बुधवार को संस्कारों की परीक्षा हुई। 14 विद्यालयों में हु

By Edited By: Published: Thu, 08 Dec 2016 01:34 AM (IST)Updated: Thu, 08 Dec 2016 01:34 AM (IST)
शिक्षा की बगिया में 'संस्कारों' की परीक्षा

गोरखपुर : शिक्षा की बगिया यानी स्कूलों में बुधवार को संस्कारों की परीक्षा हुई। 14 विद्यालयों में हुई संस्कारशाला परीक्षा में 11178 विद्यार्थी सम्मिलित हुए। इसके पूर्व सोमवार को 13 विद्यालयों के 12,601 छात्र-छात्राएं यह परीक्षा दे चुके हैं। गुरुवार को शहर के 11 विद्यालयों में यह परीक्षा होगी।

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परीक्षा में सामान्य ज्ञान व बौद्धिक परीक्षण पर आधारित प्रश्न पूछे गए थे। इसके अलावा संस्कारों की खास पाठशाला के तहत पिछले दिनों दैनिक जागरण में प्रकाशित कहानियों के आधार पर भी कई प्रश्न थे। परीक्षार्थियों ने जहां आत्मविश्वास के साथ परीक्षा दी, वहीं शिक्षकों व अभिभावकों ने इसे समाज और देश के लिए उपयोगी बताया। पाठ्यक्रम की परीक्षाओं के इतर इस परीक्षा को लेकर सभी रोमांचित दिखे।

स्कूली छात्र-छात्राओं में संस्कारों की अलख जगाने के उद्देश्य से दैनिक जागरण वर्ष 2010 से जागरण संस्कारशाला परीक्षा प्रति वर्ष आयोजित कर रहा है। परीक्षा तीन श्रेणियों में होती है। पहली श्रेणी कक्षा 3-5 वीं तक के छात्रों की, दूसरी श्रेणी कक्षा 6 से 8 तक के विद्यार्थियों की और तीसरी श्रेणी कक्षा 9 से12 वीं तक के विद्यार्थियों की होती है। प्रत्येक में 40 प्रश्न बहुविकल्पीय तथा एक सब्जेक्टिव प्रश्न पूछा गया था, जिसका जवाब प्रतिभागियों ने दिया।

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संस्कारशाला एक अनूठा आयोजन है। बदलते परिवेश में बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए ऐसे आयोजन जरूरी हैं। इससे बड़ों में भी दायित्व बोध होता है।

राजी राजेश

प्रधानाचार्य

संस्कृति पब्लिक स्कूल

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संस्कार मानव जीवन की वह अक्षय निधि है, जिसका उपयोग व्यक्ति जीवन भर करता रहता है। अगर व्यक्ति इस निधि से समृद्ध है तो समाज में उसे विशिष्ट स्थान भी मिलता है।

डा. निशि अग्रवाल

प्रधानाचार्य

एसएस एकेडमी

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दैनिक जागरण अपने अखबारी दायित्वों के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारियों का भी निर्वहन कर रहा है। संस्कारशाला इसका विशिष्ट उदाहरण है। यह बच्चों के लिए भी जरूरी है और बड़ों के लिए भी।

मीना अधमी, प्रधानाचार्य

डिवाइन पब्लिक स्कूल

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बच्चों में संस्कारों का बीज रोपने के लिए यह बेहतरीन कदम है। जिस परीक्षा में बच्चे अपने गुणों का परिचय देते हैं, उसका आयोजन सराहनीय है। परीक्षा को लेकर छात्र बेहद उत्साहित दिखे।

डी प्रसाद, प्राचार्य

आरएसएम सीनियर सेकेंड्री स्कूल

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संस्कारशाला को लेकर छात्राओं में काफी उत्साह रहा। वास्तव में ऐसी परीक्षा बच्चों के व्यक्तित्व विकास के लिए अहम है। दैनिक जागरण पिछले कई वर्ष से इसका आयोजन कर रहा है, यह अच्छा प्रयास है।

रीता पाठक, प्रधानाचार्य

आरएसएम ग‌र्ल्स स्कूल, कूड़ाघाट

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भागमभाग की जिंदगी में अभिभावक बच्चों के लिए समय नहीं निकाल पा रहे, जबकि संस्कारों का बीजारोपण बच्चों में परिवार से ही होता रहा है। ऐसे में संस्कारशाला का आयोजन जरूरी है।

विनोद मणि त्रिपाठी, प्रधानाचार्य

आरएसएम स्कूल

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बौद्धिक क्षमता पर आधारित ऐसी परीक्षाएं बच्चों में नैतिक मूल्यों का विकास करती हैं। मेरे विद्यालय के छात्रों ने पिछले वर्ष भी इस परीक्षा में भाग लिया था। वास्तव में यह जागरण का शानदार प्रयास है।

बलराम सिंह, प्रधानाचार्य

गुरुकुल एनलाइटेन स्कूल

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जागरण संस्कारशाला श्वांस के प्रवाह के समान है, जो भूल रहे संस्कारों को पुनर्जीवित करता है। इस परीक्षा से बच्चों में व्यक्तित्व और नैतिक मूल्यों का विकास होगा।

रीमा श्रीवास्तव, प्रधानाचार्य

स्प्रिंगर लॉरेटो स्कूल, सिविल लाइंस

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संस्कारशाला परीक्षा में बड़ों का आदर, देश प्रेम, अनुशासन व परोपकार से संबंधित प्रश्न थे। ऐसे आयोजनों की जितनी सराहना की जाए कम है। यह अभिभावकों के लिए उपयोगी है।

बबिता शर्मा, प्रधानाचार्य

नवल्स नेशनल एकेडमी, बक्शीपुर

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बदलते परिवेश में बच्चों में संस्कारों की कमी एक नई समस्या के रूप में सामने आई है। ऐसे समय में संस्कारशाला परीक्षा इस समस्या का बहुत हद तक निराकरण कर सकती है।

एमवाई फारुकी, प्रधानाचार्य

पीडी पब्लिक स्कूल

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जागरण संस्कारशाला परीक्षा बच्चों को जिम्मेदारियों का भान कराती है। मनुष्यता, ईमानदारी, सच्चाई का बीजारोपण इसका उद्देश्य है। यह आयोजन निश्चित ही सराहनीय कदम है।

सीबी जोसेफ, प्रधानाचार्य सेंट जोसफ स्कूल खोराबार

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जागरण संस्कारशाला ने लक्ष्य निर्धारण, सेवाभाव व देशप्रेम के बारे में कहानियों के माध्यम से बच्चों को बहुत ही आसानी से समझाया है। यह निश्चित ही ठोस पहल है।

संजय कुमार गुप्त, प्रधानाचार्य ब्लूमिंग ब‌र्ड्स एकेडमी मानीराम

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संयुक्त परिवार व एकल परिवार के बच्चों के भीतर संस्कारों का फर्क दिख जाता है। अभिभावक भी बच्चों पर ध्यान नहीं दे पा रहे, ऐसे में संस्कारशाला परीक्षा बच्चों में संस्कार भरने का कार्य करेगी।

उमा, प्रधानाचार्या, अल्मा मैटर

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हमारे पूर्वजों द्वारा सिखाए गए सदाचार, सेवाभाव, सम्मान को जीवंत रखने के लिए संस्कारशाला की परीक्षा सशक्त माध्यम है। यह परीक्षा अनवरत होने से बच्चों के भीतर संस्कार की भावना आएगी।

चारू चौधरी, निदेशक गोरखपुर पब्लिक स्कूल


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