मन से जुड़ने पर मिलती है श्रीकृष्ण की भक्ति
गोरखपुर : भक्ति व आशक्ति में बड़ा अंतर नहीं है। दोनों का संबंध हमारे मन से है। मन जब श्रीकृष्ण से जुड़
गोरखपुर : भक्ति व आशक्ति में बड़ा अंतर नहीं है। दोनों का संबंध हमारे मन से है। मन जब श्रीकृष्ण से जुड़ता है, तब उनकी भक्ति मिलती है और मन जब संसार से जुड़ता है तो आशक्ति हो जाती है।
मंगलवार को मानस उत्थान समिति के तत्वावधान में विष्णु मंदिर में आयोजित श्रीश्री विष्णु महायज्ञ, श्रीमद्भागवत कथा में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए आचार्य पं.अच्युतानंद मिश्र ने यह बातें कहीं। उन्होंने कहा कि यमुना का जो स्वरूप है वह भक्ति का है। कृष्ण की रासलीला काम लीला नही है, काम विजय लीला है। यह लीला जब भगवान ने की तब उनकी अवस्था मात्र 9 वर्ष की थी। आचार्य ने रूक्मणी विवाह व श्रीकृष्ण प्रेम का वर्णन भी कथा में किया। यजमान शरदेंदु पांडेय ने दीप प्रज्जवलित किया।
इसके पूर्व सुबह श्रीश्री विष्णु महायज्ञ में 24 कुंडीय यज्ञ में यजमानों ने आहूति डाली। वहीं रात में रावण वध के पश्चात राम का राज्याभिषेक किया गया।
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समापन व भंडारा आज
समिति के उप प्रबंधक डा. सत्येंद्र सिन्हा के मुताबिक विष्णु महायज्ञ का समापन व भंडारा आज दोपहर एक बजे से होगा।