इलेक्ट्रिक इंजन के साथ दौड़ी वैशाली
गोरखपुर : पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य रेल पथ पर पहली बार इलेक्ट्रिक ट्रेन दौड़ी। इस मार्ग पर चलने वाली
गोरखपुर : पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य रेल पथ पर पहली बार इलेक्ट्रिक ट्रेन दौड़ी। इस मार्ग पर चलने वाली प्रमुख सुपरफास्ट 12554 वैशाली एक्सप्रेस को पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन बनने का गौरव हासिल हुआ। अब 12553/12554 वैशाली एक्सप्रेस नियमित रूप से इलेक्ट्रिक इंजन से ही चलाई जाएगी। हालांकि, यह ट्रेन पहले दिन ही लगभग डेढ़ घंटा लेट हो गई। ट्रेन सुबह 10.25 बजे के आसपास गोरखपुर के प्लेटफार्म नंबर दो पर पहुंची। इसके बाद भी यात्रियों के उत्साह में कोई कमी नहीं आई। उनका कहना था कि, पूर्वोत्तर रेलवे को कम से कम इलेक्ट्रिक ट्रेन तो मिला।
बाराबंकी से छपरा (425 किमी) तक विद्युतीकरण पूरा हो चुका है। 23 अगस्त को विद्युत रेल पथ का निरीक्षण करने के एक दिन बाद ही रेल संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) ने इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाने की अनुमति प्रदान कर दी। पहले से तैयार रेलवे प्रशासन ने वैशाली को पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन बना दिया। 12555/12556 गोरखधाम, 12565/12566 बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस के अलावा आम्रपाली और गरीब रथ भी जल्द ही इलेक्ट्रिक इंजन से चलने लगेंगी। दिल्ली से परिवार के साथ गोरखपुर पहुंचे मनोज कुमार अग्रवाल ने बताया कि कोई विशेष सुविधा तो नहीं मिली लेकिन इलेक्ट्रिक का नाम सुनकर अच्छा लगा है। वहीं, सुदीप, राजू, राम मनोहर और लवकुश आदि यात्रियों ने बताया कि उन्होंने पहली बार गोरखपुर तक इलेक्ट्रिक ट्रेन से यात्रा पूरी की है। आने वाले दिनों में ट्रेनों की स्पीड भी बढ़ेगी।
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दुर्घटनाओं पर लगेगा अंकुश
लखनऊ मंडल के चालक विजय कुमार और संजीव कुमार वैशाली एक्सप्रेस को लेकर गोरखपुर पहुंचे। दोनों चालक 23 अगस्त को सीआरएस निरीक्षण में भी मौजूद थे। उन्होंने बताया कि विद्युत इंजन से रेल दुर्घटनाओं पर अंकुश लगता है। सिग्नल ओवरशूट की संभावना लगभग समाप्त हो जाती है। इंजन में चालक का केबिन आगे होता है। इससे सिग्नल अच्छी तरह से दिखता है। ब्रेक लगाना भी आसान होता है। इलेक्ट्रिक इंजन में न धुंआ निकलता है और न बहुत आवाज आती है। ऐसे में चालकों को कोई परेशानी नहीं होती।
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पांच लाइनों पर दौड़ेगी ट्रेन
रेल संरक्षा आयुक्त ने रेलवे स्टेशन के चार लाइनों पर इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाने की अनुमति प्रदान की है। ऐसे में ट्रेन फिलहाल प्लेटफार्म एक, दो, टू ए, तीन और 4 नंबर से चलाई जाएगी। जल्द ही यार्ड के अन्य लाइनों को भी सीआरएस की हरी झंडी मिल जाएगी।
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9 माह पहले दिखाई हरी झंडी
पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी मंडल का विद्युतीकरण नवंबर 2015 में ही पूरा हो गया। रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने 22 नवंबर को पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन को हरी झंडी दिखाई थी। इसके बाद मौर्य एक्सप्रेस इलेक्ट्रिक इंजन से ही चल रही है। अब बाराबंकी से छपरा तक विद्युतीकरण पूरा हो गया है। इसका उद्घाटन भी रेलमंत्री प्रभु ही करेंगे। इसके लिए रेलवे प्रशासन का प्रयास चल रहा है। सितंबर के प्रथम सप्ताह में वह विद्युतीकरण के अलावा इलेक्ट्रिक शेड का शिलान्यास और उत्तरी द्वार का उद्घाटन कर सकते हैं।
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इलेक्ट्रिक इंजन से चलेगी ट्रेनें
मुख्य जनसंपर्क अधिकारी संजय यादव के अनुसार महाप्रबंधक राजीव मिश्र के नेतृतव में पूर्वोत्तर रेलवे ने विद्युत ट्रैक्शन के नए युग में प्रवेश किया है। इस रूट से गुजरने वाली सभी यात्री और मालगाड़ियां इलेक्ट्रिक इंजन से ही चलाई जाएंगी। इससे समय की बचत होगी। पर्यावरण में प्रदूषण नहीं फैलेगा। विद्युत इंजन के रख-रखाव के व्यय में कमी के साथ डीजल पर व्यय होने वाली विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी।
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मिलेगी राहत,
- रेलवे के खर्चे में आएगी कमी।
- पर्यावरण में प्रदूषण नहीं फैलेगा।
- समय की बचत होगी, ट्रेनें बढ़ेंगी।
- स्टेशनों पर बिजली की व्यवस्था।
- तेल से संभावित दुर्घटनाएं खत्म।