ंसंबद्धता में देरी पर कालेजों को जागना चाहिए था
गोरखपुर : संबद्धता से वंचित 37 महाविद्यालयों को शासन में गुहार लगाने के बाद भी राहत नहीं मिल पा रही।
गोरखपुर : संबद्धता से वंचित 37 महाविद्यालयों को शासन में गुहार लगाने के बाद भी राहत नहीं मिल पा रही। सुप्रीम कोर्ट से निराशा मिलने के बाद कालेजों की अपील पर शासन की ओर से भले ही गोरखपुर विश्वविद्यालय को पत्र भेजकर तमाम गलतियां गिना दी गई हों, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए 10 पेज का जवाब भेज दिया है।
कालेजों को संबद्धता से वंचित रह जाने के लिए निरीक्षण मंडल को दोषी मानते हुए कार्यवाही न करने के बाबत शासन के सवाल का भी विश्वविद्यालय ने माकूल जवाब दिया है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि निरीक्षण मंडल के गठन के बाद यह कालेजों का दायित्व है कि वे निरीक्षण कराएं। यही नहीं निरीक्षण मंडल की आख्या में देर होने के बावजूद भी कालेजों की ओर से शिकायत दर्ज नहीं कराई गई, जबकि नियमानुसार उनका अधिकार था। वहीं आख्या मिलने में देरी की वजह क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी के निलंबन बाबत दोषारोपण पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा है कि निरीक्षण आख्या 15 अप्रैल तक पहुंचनी थी, जबकि उच्च शिक्षा अधिकारी इस तिथि के बाद निलंबित हुए।
विश्वविद्यालय ने मामले में प्रभावित हो रहे कालेजों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी हवाला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने पूरी घटना के लिए कालेजों को दोषी बताते हुए बगैर संबद्धता मिले कालेज में छात्रों के प्रवेश करने पर जमकर फटकार भी लगाई थी।