जियो बैग के भरोसे सुरक्षा का दावा
गोरखपुर: मानसून की भविष्यवाणी भारी बारिश की है और बंधे बदहाल हैं। महत्वपूर्ण बंधे भी जर्जर हैं और व
गोरखपुर: मानसून की भविष्यवाणी भारी बारिश की है और बंधे बदहाल हैं। महत्वपूर्ण बंधे भी जर्जर हैं और विभाग धन की प्रतीक्षा कर रहा है। मौजूदा हालात यह बताते हैं कि बाढ़ की स्थिति बिगड़ी तो बंधों की ताकत जवाब देने से कतई इन्कार नहीं किया जा सकता है। इसमें बोक्टा-बरवार बंधा प्रमुख है। बोक्टा-बरवार वह स्थान है जहां 1998 में राप्ती की धारा से बंधा कट गया था और भारी तबाही मची थी और ऐसे खतरनाक बंधे को पिछले वर्ष लगाए गए जियो बैग के सहारे छोड़ दिया गया है।
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बोक्टा-बरवार बंधा मरम्मत के लिए नहीं मिला पैसा
गोरखपुर-सहजनवां मार्ग पर राप्ती नदी के बोक्टा-बरवार बंधा बरहुआं के पास पूरी तरह खतरनाक है। यहां राप्ती नदी पूरब की ओर मुड़ती है और उसकी धारा बंधे पर सीधे दबाव बनाती है। इस बंधे की संवेदनशीलता का अंदाजा विभाग (बाढ़ खंड) को भी पूरी तरह है। शायद यही कारण है कि उसने लगभग दो सौ मीटर की लंबाई में बंधे की मरम्मत अर्थात बोल्डर पिचिंग के लिए शासन से आठ करोड़ की मांग कई माह पहले की थी लेकिन बारिश सिर पर आ गई है और शासन ने एक धेला भी नहीं जारी किया।
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क्या है जियो बैग तकनीक
जियो बैग (बोरी) तकनीक का प्रयोग बोल्डर की जगह होता है। सिंचाई विभाग के मुताबिक ये बैग मजबूत और मौसम से अप्रभावित होते हैं। बैग में मिट्टी भरकर मौके पर ही मशीन से सिलाई कर दी जाती है और बंधे की तलहटी में नींव तैयार कर उसे बंधे पर ढालनुमा रूप में लगाया जाता है। कुछ दिनों उसे खुला रखा जाता है, बाद में उसे मिट्टी से ढक दिया जाता है। इस तकनीक का प्रयोग यहां डेढ़ वर्ष पूर्व किया गया था। विभाग इसकी मजबूती का भले ही दावा करे लेकिन इस बंधे की सुरक्षा के लिए निश्चित ही अतिरिक्त मरम्मत की जरूरत थी, जो धन के अभाव में पूरी नहीं हो सकी है।
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जिले में नदियों की लंबाई
-राप्ती 134 किमी
-घाघरा 77 किमी
-कुआनो 23 किमी
-रोहिन 30 किमी
-आमी 77 किमी
-गोर्रा 17 किमी
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बंधों की संख्या व लंबाई
-बंधों की कुल संख्या-64
-¨रग बांध- 19
-रिटायर्ड बांध- 1
-कुल लंबाई- 446 किमी
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यह सही है कि धन नहीं मिलने से बंधे की बोल्डर-पिचिंग नहीं हो सकी है लेकिन विभाग पूरी तरह सजग है। बंधा किसी भी हाल में कटने नहीं दिया जाएगा।
-रामअवतार सिंह, अधिशासी अभियंता, बाढ़ खंड दो