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16.5 लाख रुपये प्रति माह राजस्व की लगा रहे चपत

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : महानगर में दो केबिल नेटवर्क आपरेटर द्वारा 16.5 लाख रुपये प्रति माह कर चोर

By Edited By: Published: Thu, 26 May 2016 01:24 AM (IST)Updated: Thu, 26 May 2016 01:24 AM (IST)
16.5 लाख रुपये प्रति माह  राजस्व की लगा रहे चपत

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : महानगर में दो केबिल नेटवर्क आपरेटर द्वारा 16.5 लाख रुपये प्रति माह कर चोरी किए जाने का मामला सामने आया है। कमिश्नर के आदेश पर हुई जांच में दोनों केबिल आपरेटर सरकार को प्रति वर्ष दो करोड़ रुपये से अधिक राजस्व की चपत लगा रहे हैं। आपरेटर उपभोक्ताओं की संख्या कम बताकर मनोरंजन कर विभाग में टैक्स जमा कर रह थे जबकि हकीकत में उपभोक्ताओं की संख्या लगभग दो गुनी पाई गयी है। जांच रिपोर्ट आने के आपरेटरों की मुश्किलें बढ़नी तय हैं।

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ये है मामला

डेन केबिल नेटवर्क आपरेटर से फ्रेंचाइजी लेकर नौ लोगों ने डेन नवरत्न इंज्वायमेंट प्राइवेट लिमिटेड नाम से फर्म बनायी। मार्च में फर्म द्वारा 42 हजार कनेक्शन पर ही टैक्स दिया गया जबकि सक्रिय कनेक्शन 83132 हैं। इसी तरह दूसरी फर्म नेट विजन सिस्टम ने 5 हजार एक्टिव कनेक्शन दिखाए हैं जबकि वास्तव में कनेक्शन की संख्या 12938 पाई गई है।

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ऐसे खुली पोल

महानगर में डेन के 50 मोबाइल आपरेटर हैं। सभी आपरेटर सक्रिय उपभोक्ताओं से जो रकम लेते हैं उसमें से डेन नेटवर्क को निर्धारित धनराशि देते हैं। डेन नवरत्न इंज्वायमेंट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा डेन नेटवर्क को 83125 उपभोक्ताओं पर भुगतान किया गया है। इसी से मामला पकड़ में आ सका है।

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मंडलायुक्त को सौंप दी गई है रिपोर्ट : एके पाठक

जांच अधिकारी व वाणिज्य कर विभाग के डिप्टी कमिश्नर अमित पाठक ने बताया कि जांच रिपोर्ट मंडलायुक्त को सौंप दी गई है। जांच में दोनों फर्म द्वारा वर्ष में लगभग दो करोड़ की कर चोरी की जा रही थी। लोकल केबिल आपरेटर 49 हजार कनेक्शन को शो नहीं कर रहे थे।

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वाणिज्य कर विभाग की भी है नजर

महानगर में करोड़ों की टैक्स चोरी करने वाले केबिल आपरेटरों पर वाणिज्य कर विभाग की पैनी नजर है। विभाग की शुरुआती जांच में दोनों आपरेटरों ने सेट टाप बाक्स बेचने से इंकार किया है। आपरेटरों का कहना है कि चूंकि वह सेट टाप बाक्स नहीं बेचते हैं इसलिए उस पर बिक्री कर देय नहीं है। जो सेट टाप बाक्स वह उपभोक्ता को देते हैं उसे खराब होने के बाद बदलकर दूसरा उपलब्ध कराते हैं। इसके एवज में सर्विस टैक्स दिया जाता है। फिलहाल विभागीय जांच जारी है।


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