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राजभवन को विवि बताएगा फर्जीवाड़े की कहानी

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : मान्यता - संबद्धता के लिए फर्जीवाड़ा करने वाले कालेजों को बचना इस बार आसान

By Edited By: Published: Thu, 26 May 2016 01:23 AM (IST)Updated: Thu, 26 May 2016 01:23 AM (IST)
राजभवन को विवि बताएगा  फर्जीवाड़े की कहानी

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : मान्यता - संबद्धता के लिए फर्जीवाड़ा करने वाले कालेजों को बचना इस बार आसान नहीं होगा। एक ओर जहां गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन कालेजों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है, वहीं राजभवन और शासन को भी पत्र भेजकर पूरे मामले से अवगत करा रही है।

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दरअसल ऐसी संभावना है कि जिन कालेजों के खिलाफ विश्वविद्यालय कार्रवाई कर रहा है वह अपना पक्ष लेकर शासन अथवा राजभवन का दरवाजा खटखटाऐंगे। ऐसे में विश्वविद्यालय पूरे प्रकरण से राजभवन और शासन को पहले ही अवगत करा देना चाह रहा है। इसके लिए सिलसिलेवार फाइल तैयार करने का काम शुरू हो गया है।

पिछले दिनों मान्यता हासिल करने के लिए फर्जीवाड़े के दो प्रकरण सामने आने के बाद विश्वविद्यालय की ही कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे है। पहले एनसीटीई से बीएड मान्यता के लिए एनओसी और शिक्षक अनुमोदन में फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया, जबकि दूसरे प्रकरण में 22 ऐसे कालेज चिह्नित किए गए जहां प्रबंध समिति में रक्त संबंधियों को ही शामिल किया गया है। ऐसे में आशंका है कि दोषी कालेज शासन स्तर पर अपना पक्ष रखते समय विश्वविद्यालय को ही दोषी बताएं। बीएड मान्यता मामले में तो एनसीटीई ने 11 कॉलेजों को दोषी करार दिया है जबकि शेष 30 को संबंद्धता देने से विश्वविद्यालय ने इन्कार कर दिया। इन दोनों मामलों में दोषी किसी भी स्तर पर बच न पाएं इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने राजभवन और शासन को हर पहलू से पहले ही अवगत कराने की रणनीति बनाई है।

कुलसचिव के तबादले पर भी सवाल

बीएड मान्यता में फर्जीवाड़ा का खुलासा होने के बाद अचानक कुलसचिव का तबादला हो गया। महज पांच महीने में कुलसचिव के तबादले को इन खुलासों से जोड़कर देखा जा रहा है। चर्चा है कि कुलसचिव की कार्यप्रणाली को लेकर कई रसूखदार प्रबंधक नाखुश थे और अपनी पहुंच का प्रयोग करते हुए तबादला कराया है।

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बीते कई प्रकरणों में ऐसा पाया गया कि किसी मामले बाबत राजभवन और शासन को पूरी जानकारी नहीं होती है और दूसरे पक्ष को तथ्यों को अपने हिसाब से रखने का पूरा अवसर मिल जाता है। ऐसे में प्रकरण उलझ जाता है। इसी को देखते हुए इस बार पूर्व में ही सब कुछ राजभवन को अवगत करा देने का निर्णय लिया गया है।

- प्रभाष द्विवेदी, कुलसचिव, गोरखपुर विश्वविद्यालय


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