जागरूक नहीं हुए तो गहराएगा मीठे पानी का संकट
गोरखपुर : बढ़ते जल संकट को देखते हुए भावी चुनौतियों से पार पाने को मंगलवार को शहर में गंभीर विमर्श क
गोरखपुर : बढ़ते जल संकट को देखते हुए भावी चुनौतियों से पार पाने को मंगलवार को शहर में गंभीर विमर्श किया गया। पहल सोसाइटी की ओर से स्थानीय प्रेस क्लब में आयोजित चाय पंचायत में लोगों ने जल का दुरुपयोग रोकने और इसके संरक्षण का संकल्प लिया। पानी-कल, आज और कल विषय पर विषय विशेषज्ञ की उपस्थिति में पंचायत कई महत्वपूर्ण निष्कर्षोँ पर पहुंची।
बतौर मुख्य वक्ता पर्यावरणविद् प्रो. डीके सिंह ने कहा कि बढ़ती आबादी के कारण हमारे सामने पीने के मीठे पानी का संकट आने वाला है। उन्होंने पानी से जुड़े रोचक तथ्य पंचायत में मौजूद लोगों के समक्ष रखे। प्रो. सिंह ने कहा कि कुदरती सीमा है कि कुल जमीन के 15 प्रतिशत में ही खेती और अधिकतम 4000 क्यूबिक किलोमीटर पानी का इस्तेमाल हो सकता है। इसके सापेक्ष हम 11.5 प्रतिशत जमीन जबकि 2600 क्यूबिक किलोमीटर पानी के इस्तेमाल तक पहुंच गए हैं। प्रो. सिंह ने बताया कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में पानी की कमी नहीं है लेकिन सही नियोजन के अभाव में ठीक पानी नहीं मिल रहा है। उन्होंने आशंका जताई कि वर्ष 2050 तक जल संकट के कारण देश में 28.8 प्रतिशत कृषि उत्पाद कम हो जाएंगे। अपने विचार रखते हुए डा. विनय सिंह ने कहा कि हमारे सामने जो भी संकट है उनका कारण हमारा अपनी संस्कृति से दूर होना है। कार्यक्रम में में उपस्थित लोगों ने विषय विशेषज्ञ के साथ सवाल-जवाब कर अपनी जिज्ञासा भी शांत की। पंचायत में गोरखपुर विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व उपाध्यक्ष डा. योगेश प्रताप सिंह, पार्षद राजेश जायसवाल, राजेश त्रिपाठी और संजय सिंह, अजय प्रकाश यादव, ग्राम प्रधान नाहरपुर रणजीत जायसवाल, भाजपा नेता इंद्रमणि उपाध्याय, रमन अस्थाना, विपुल त्रिपाठी, विशाल शाही, लालता चौधरी, कीर्तिमान सिंह समेत दर्जनों लोगों की सहभागिता रही।
यह रहा पंचायत का निष्कर्ष :
- छोटे किसानों को नहरों की तुलना में ट्रेडिल पंप देना जल संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- ड्रिप सिंचाई पद्धति को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
- देश में पक्की और ढकी हुई नहरों का चलन बढ़ना चाहिए। - पक्का मकान बनाते समय ही पानी के संरक्षण के इंतजाम किए जाएं।
- तालाबों की खुदाई के समय ऐसी व्यवस्था बनाई जानी चाहिए कि 5-6 किलोमीटर क्षेत्र का पानी बहकर तालाब में आए।