ढूढे नहीं मिल रहे रेलवे को चिकित्सक
जागरण संवाददाता, गोरखपुर : 22 नवंबर 2015 को रेलवे स्टेशन के सामने रेलमंत्री प्रभु के साथ मंच पर सदर
जागरण संवाददाता, गोरखपुर : 22 नवंबर 2015 को रेलवे स्टेशन के सामने रेलमंत्री प्रभु के साथ मंच पर सदर सांसद योगी आदित्यनाथ ने रेलवे अस्पतालों की समस्याओं को बताया था। उन्होंने कहा था कि अस्पताल रेफरल हो गए हैं। भर्ती होने के बाद मरीजों के ऊपर जाने की संभावना और बढ़ जाती है। हंसते हुए रेलमंत्री प्रभु ने कहा था कि वह किसी रेलकर्मी को ऊपर नहीं जाने देंगे। व्यवस्था सुदृढ होगी। उनके निर्देश पर रेलवे के अस्पताल और व्यवस्थित हो गए। अति आधुनिक मशीनें लग गई। लेकिन, मशीनों को चलाने वाला कोई नहीं है। आज रेलवे प्रशासन को ढूढने पर भी चिकित्सक नहीं मिल रहे हैं।
पूर्वोत्तर रेलवे मुख्यालय स्थित ललित नारायण मिश्र चिकित्सालय सहित लखनऊ, वाराणसी और इज्जतनगर मंडल में स्थापित अस्पतालों में चिकित्सकों के महत्वपूर्ण 24 पद खाली चल रहे हैं। सिर्फ गोरखपुर में ही 8 पद रिक्त हैं, जिसके चलते रेलकर्मियों का इलाज नहीं हो पाता है। उन्हें मजबूरी में प्राइवेट संस्थानों में ही इलाज कराना पड़ता है। इसको लेकर रेलकर्मियों में रोष बढ़ता ही जा रहा है। विभाग के जानकारों का कहना है कि रेलवे अस्पतालों को चिकित्सक तो नहीं मिल रहे, लेकिन रेलवे का भारी भरकम बजट जरूर खर्च हो रहा है। एक साक्षात्कार में तीन चिकित्सक उपस्थित होते हैं लेकिन अभ्यर्थी केवल गिनती के रहते हैं। यह तब है जब रेलवे ने चिकित्सकों के लिए आकर्षक वेतन भी निर्धारित किया है। स्पेशलिस्ट के लिए 65 हजार और सामान्य चिकित्सक के लिए 55 हजार रुपये निर्धारित है। इसके अलावा अन्य सुविधाएं भी हैं।
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भारी पड़ रही डिग्रीधारी
डाक्टरों की उदासीनता
एमबीबीएस और पीजी डिग्रीधारी चिकित्सकों की उदासीनता रेलवे की व्यवस्था पर भारी पड़ रही है। चिकित्सकों के लिए पिछले 21 अप्रैल से ही भर्ती प्रक्रिया चल रही है। बकायदा विज्ञापन भी प्रकाशित किया गया था। लेकिन, अभी तक एक भी चिकित्सक की तैनाती नहीं हो सकी है। 12 मई तक चलने वाली भर्ती प्रक्रिया में देवरिया और कप्तानगंज हेल्थ यूनिट पर तो साक्षात्कार के लिए सिर्फ एक- एक चिकित्सक ही मौके पर पहुंचे थे।
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रेलवे को याद आए अपने
इन विषम परिस्थितियों में रेलवे को अपने बुजुर्ग चिकित्सकों की भी याद आई है। नियमानुसार उन्हें भी तैनाती देने की प्रक्रिया चल रही है। उनके लिए भी 46 हजार रुपये का सम्मानित मानदेय निर्धारित किया गया है। इसके बाद भी चिकित्सकों का टोटा बरकरार है।
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मरीज बाहर से कराते
अल्ट्रासाउंड व जांच
ललित नारायण मिश्र रेलवे चिकित्सालय में अल्ट्रासाउंड सहित जरूरी अति आधुनिक मशीनें लगी हैं। लेकिन, पिछले साल ही रेडियोलाजिस्ट रिटायर हो गए। मशीनें धूल फांक रही हैं। मरीजों को बाहर से अल्ट्रसाउंड व आवश्यक जांच बाहर से करानी पड़ रही हैं।
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यह पद हैं खाली
गोरखपुर में ही रेडियोलाजिस्ट के एक, जनरल फिजिसियन और सर्जन के दो-दो, ईएनटी सर्जन एक, पैथालाजी एक और एक अन्य चिकित्सक के पद खाली हैं।