मिथाइल नहीं तो जहरीली कैसे हुई शराब
गोरखपुर : गांव में रोजाना बंटने वाली कच्ची शराब बुधवार को जहरीली कैसे हो गई? इस सवाल ने गांव वालों क
गोरखपुर : गांव में रोजाना बंटने वाली कच्ची शराब बुधवार को जहरीली कैसे हो गई? इस सवाल ने गांव वालों के साथ साथ पुलिस और आबकारी विभाग को भी हैरान कर दिया है। शराब पीने से गंभीर लोगों की प्राथमिक जांच में भी मिथाइल एल्कोहल के लक्षण नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में पुलिस ने साजिश की तरफ भी जांच शुरू कर दी है।
क्या होता है मिथाइल
ये एक तरह का केमिकल है जो पूरी तरह से जहर होता है। ये पेपर और पेट्रोलियम इंडस्ट्री का बाय प्रोडक्ट है। इसका रंग, स्वाद और गंध बिल्कुल इथाइल एल्कोहल की तरह होता है, जिसके चलते कई बार लोग इसे शराब के भ्रम में पी लेते हैं, जो जानलेवा साबित होता है।
इथाइल से बनती है शराब
इथाइल एल्कोहल शुगर कंटेंट वाले उत्पाद जैसे अनाज, महुआ, गुड़ आदि से बनाया जाता है। इथाइल एल्कोहल का ज्यादा सेवन लंबे समय बाद नुकसान पहुंचाता है। एक दिन में ज्याद पीने से भी मौत होने की संभावना बहुत कम होती है। इसका स्वाद, महक मिथाइल जैसा होता है।
आंख पर होता है असर
मिथाइल एल्कोहल का पहला असर आंख पर पड़ता है। इसके पीने से सबसे पहले आंख की रोशनी चली जाती है। इसके बाद यह शरीर के दूसरे अंगों पर असर डालती है। हालांकि जंगल छत्रधारी की घटना में किसी भी पीड़ित के आंख की रोशनी प्रभावित होने की शिकायत नहीं मिली है।
गुजरात, असम से आती है मिथाइल
पूर्वाचल में जहरीला मिथाइल केमिकल असम और गुजरात की पेट्रोलियम रिफाइनरी से मंगाया जाता है। इसका इस्तेमाल बनारस के साड़ी उद्योग, पेंट के कारखानों और थिनर, स्प्रिट आदि में किया जाता है। यहीं से चोरी-छिपे इसकी आपूर्ति कच्ची के धंधेबाज कर लेते हैं।
मिथाइल नहीं तो फिर साजिश
आबकारी विभाग के सूत्रों की मानें, तो किसी भी गंभीर व्यक्ति के आंख की रोशनी नहीं गई है। मरने वालों में भी ऐसी शिकायत नहीं मिली थी। भर्ती सभी प्रभावित लोगों के आंखों की प्राथमिक जांच में सब ठीक मिला है, जबकि मिथाइल का पहला अटैक आंखों पर ही होता है। ऐसे में शराब के जहरीली होने के पीछे साजिश भी हो सकती है। फिलहाल पोस्टमार्टम और फोरेंसिक रिपोर्ट के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी।
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