रवींद्र जैन ने यहां बहायी थी सुरों की सरिता
जागरण संवाददाता, गोरखपुर : 'चितचोर', 'अंखियों के झरोखे से' समेत कई फिल्मों में मधुर और भावपूर्ण संगी
जागरण संवाददाता, गोरखपुर : 'चितचोर', 'अंखियों के झरोखे से' समेत कई फिल्मों में मधुर और भावपूर्ण संगीत देकर अंधता को पराजित करने वाले मशहूर संगीत निर्देशक, गायक और गीतकार रवींद्र जैन का शुक्रवार को निधन हो गया। वह 71 साल के थे। 'चोर मचाए शोर' 'गीत गाता चल' 'नदिया के पार' 'विवाह' जैसी हिट फिल्मों के साथ रवींद्र जैन ने रामायण, श्रीकृष्णा, जय हनुमान, अलिफ लैला आदि धारावाहिकों में सुपर हिट संगीत दिए। यह खबर जैसे ही महानगर के संगीत साधकों व प्रेमियों को मिली वह स्तब्ध रह गए। हर किसी ने अपने -अपने तरीके से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया। किसी ने उन्हें मां सरस्वती का वरद पुत्र बताया, किसी ने उन्हें महान संगीतज्ञ तो कुछ ने कहा कि उनका निधन संगीत के लिए अपूर्णीय क्षति है, ऐसे महान कलाकार कभी-कभी पैदा होते है।
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2005 में यहां आए थे रवींद्र जैन
गोरखपुर से रवींद्र जैन का रिश्ता अनमोल रहा है। वर्ष 2005 में गोरखपुर जर्नलिस्ट्स प्रेसक्लब के सहयोग से 'पुरवाई संगीत सम्मान' का आयोजन विवि के संवाद भवन में हुआ। स्वागत के क्रम में उनकों यहां के कलाकारों ने मालाओं से लाद किया। इसके बाद उन्होंने शहर के 10 कलाकारों को सम्मानित किया था। प्रशंसकों से खचाखच भरे संवाद भवन में रवींद्र जैन ने जैसे ही सुरों तान छेड़ी सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। 'राम कहानी सुनो जी राम कहानी' 'राम तेरी गंगा मैली हो गई पापियों का पाप धोते-धोते' 'घुंघरु की तरह बजता रहा हूं मैं' आदि गीतों की सरिता बहायी जिसमें श्रोता दर्शकों ने गाते लगाए।
इंसर्ट ....
इनको किया सम्मानित
लोक गायिका मैनावती देवी, उर्मिला शुक्ला, शास्त्रीय गायक डा. शरद मणि त्रिपाठी, डा. सपना चक्रवर्ती, संगीतिका त्रिपाठी, तबला वादक प्रेमशंकर गंगानी, सारंगी वादक नायाब अली, बांसुरी वादक रमेश प्रसाद वर्मा, उद्घोषक सर्वेश दूबे, चित्रकार डा. राजीव श्रीवास्तव हैं।