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पर्यटन की राह में रोड़ा बदहाल होटल

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : पर्यटकों को ठहरने के लिए पर्यटन विभाग ने नौतनवां, कपिलवस्तु व कुशीनगर समे

By Edited By: Published: Sat, 03 Oct 2015 01:36 AM (IST)Updated: Sat, 03 Oct 2015 01:36 AM (IST)
पर्यटन की राह में रोड़ा बदहाल होटल

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : पर्यटकों को ठहरने के लिए पर्यटन विभाग ने नौतनवां, कपिलवस्तु व कुशीनगर समेत कई अन्य प्रमुख स्थानों पर होटल खोल रखे हैं। इन होटलों में पर्यटकों से रकम तो अच्छी खासी वसूली जाती है, लेकिन सुविधाएं नदारद हैं। इनकी बदहाली पर जिम्मेदार मौन हैं।

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पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए केंद्र व राज्य सरकार द्वारा विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए बौद्ध सर्किट में लगभग हर पचास किलोमीटर पर उच्च स्तरीय बाथरूम और रेस्त्रां खोले जा रहे हैं, ताकि विदेशी पर्यटकों को रास्ते किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। गोरखपुर व बस्ती मंडल में ही पर्यटन विभाग के सात होटल हैं। पर्यटकों को उच्च स्तरीय सुविधाएं मुहैया कराई जाएं, तो पूर्वांचल में पर्यटन उद्योग को काफी बढ़ावा मिलेगा, लेकिन जब बात सुविधाओं की आती है, तो विभाग धन की कमी का रोना रोता है।

गोरखपुर महानगर में रामगढ़ ताल के सामने बने पर्यटक आवास गृह के दरवाजे अभी भी सैलानियों के लिए बंद हैं। आवास गृह में कुल 48 कमरे हैं। कुशीनगर स्थित पथिक निवास में 36 कमरे हैं। इनमें करीब 8 सुइट हैं, जो बदहाली के कगार पर हैं। पथिक निवास की हालत भी किसी से छिपी नहीं है। यहां सैलानी सरकारी और प्राइवेट होटलों में मिलने वाली सुविधाओं से रूबरू होते हैं। देवरिया में चार कमरों वाला पथिक निवास बनकर तैयार है और 1998 से ही खुलने की बाट जोह रहा है। नौगढ़ स्थित पथिक निवास एक चपरासी व चौकीदार के भरोसे है, तो यहां की सुविधाओं के बारे में आप सहज कल्पना कर सकते हैं। यही हाल कपिलवस्तु में चार कमरे के होटल व रेस्त्रां का है। यहां जीर्ण-शीर्ण हालत में कमरे तो मिल जाएंगे, लेकिन पेट की भूख कहीं और शांत करनी होगी। महराजगंज जनपद के सौनौली में टूरिस्ट बंग्लो में 36 कमरे हैं। फिलहाल यहां की स्थिति अन्य होटलों से बेहतर है। बस्ती बाईपास के पास स्थित 8 कमरे वाले पथिक निवास की स्थिति भी अन्य होटलों की तरह ही है। कर्मचारी व सुविधाओं का टोटा है।

बौद्ध परिपथ में हर साल लाखों की संख्या में विदेशी सैलानियों का आगमन होता है। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक अकेले कुशीनगर के ही पथिक निवास में लगभग 70000 सैलानी रुकते हैं। कुशीनगर में देशी पर्यटकों की संख्या 10 लाख के आसपास रहती है।

पर्यटन विभाग के होटलों की बदहाली के बारे में पूछे जाने पर क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी आरके रावत ने बताया कि जो भी होटल बंद पड़े हैं, उन्हें शीघ्र ही चलाया जाएगा। कुशीनगर, कपिलवस्तु और गोरखपुर के होटलों में पर्यटकों के लिए उच्च स्तरीय सुविधाएं मुहैया करायी जाएंगी। शासन ने कुशीनगर के पथिक निवास के लिए 70 लाख रुपये पर्यटन निगम को अवमुक्त किए हैं। इस मद से कुशीनगर में होटल की मरम्मत का कार्य चल रहा है।


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