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लोक धुन बरसी तो सरस उठी शाम

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : आकाशवाणी केंद्र गोरखपुर का 44वां स्थापना दिवस विविध आयोजनों के बीच शुक्रव

By Edited By: Published: Sat, 03 Oct 2015 01:26 AM (IST)Updated: Sat, 03 Oct 2015 01:26 AM (IST)
लोक धुन बरसी तो सरस उठी शाम

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : आकाशवाणी केंद्र गोरखपुर का 44वां स्थापना दिवस विविध आयोजनों के बीच शुक्रवार को मनाया गया। समारोह दो सत्र में हुआ। प्रथम सत्र में पूर्वाचल के सांस्कृतिक विकास में आकाशवाणी का योगदान विषय पर व्याख्यान तो दूसरे सत्र में केंद्र के ए श्रेणी कलाकारों ने लोक धुन की बरसा की। एक के बाद एक लोक संस्कृति को समेटे विविध गीतों की प्रस्तुति दी। व्याख्यान में शायर डा.अजीज अहमद, पूर्व मुख्य परिचालन प्रबंधक पूर्वोत्तर रेलवे राकेश त्रिपाठी एवं पूर्व महापौर अंजू चौधरी शामिल हुई।

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आकाशवाणी के स्टूडियों में आयोजित स्थापना दिवस की शुरूआत केंद्राध्यक्ष अनिल शर्मा ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर किया। कार्यक्रम का संयोजन किया प्रभारी कार्यक्रम प्रमुख डा.राजश्री बनर्जी ने। संगीत संध्या में आकाशवाणी के 'ए' श्रेणी कलाकार राकेश उपाध्याय ने मां भवानी को याद करते हुए 'हाथ जोड़ तोहके मनाई आहो मोरी शारदा भवानी' भजन प्रस्तुत किया। लोक कलाकार राकेश श्रीवास्तव ने आकाशवाणी पर आधारित 'आज के दिनवा आकाशवाणी के भइल रहे स्थापना', 'स्वच्छ भारत निर्माण के सफल बनावल जाइ, देश के कोना-कोना राखल जाइ खूब सफाई' प्रस्तुत लोगों की वाहवाही बटोरी। अस्तुरन देवी ने 'अखिया में बसत लोर ए बलमा, छोड़ द अंचरवा के कोर' रामदरश शर्मा ने 'कउने देसे गइले बलमुआ नथिया लेलें ना' वहीं चेता सिंह ने 'हमनी के छोड़ श्याम गइले मधुबनवा' बृज किशोर त्रिपाठी एवं प्रभाकर शुक्ल ने भी प्रस्तुत कर लोगों को मंत्रमुग्ध किया। इसके पूर्व प्रथम सत्र में आयोजित व्याख्यान में डा.अजीज अहमद ने आकाशवाणी के शुरुआती दिनों को याद करते हुए बताया कि 1974 व 75 में आकाशवाणी ने इस क्षेत्र के लोगों को दुनियावी घटनाओं से वाकिफ कराने के साथ ही उनके मनोरंजन का ख्याल रखा। राकेश त्रिपाठी ने आकाशवाणी के आरंभिक समय के प्रमुख प्रसारकों रवींद्र श्रीवास्तव जुगानी, उस्ताद राहत अली, केवल कुमार एवं किश्वरआरा आदि प्रशासक को याद किया। पूर्व महापौर अंजू चौधरी ने बताया कि आकाशवाणी के नियमित प्रसारणों से वे आरम्भ से ही जुड़ी रहीं। संचालन सुनीता कांजीलाल ने तथा आभार ज्ञापन डा.ब्रजेंद्र नारायण ने किया।


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