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अपराध के बाजार में डालर की तरह चलता था चवन्नी

जागरण संवाददात, गोरखपुर : एसटीएफ की गोरखपुर इकाई के प्रयास से लखनऊ में साथी के साथ पकड़ा गया शातिर

By Edited By: Published: Tue, 04 Aug 2015 02:13 AM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2015 02:13 AM (IST)
अपराध के बाजार में डालर की तरह चलता था चवन्नी

जागरण संवाददात, गोरखपुर :

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एसटीएफ की गोरखपुर इकाई के प्रयास से लखनऊ में साथी के साथ पकड़ा गया शातिर सुपारी किलर सुमीत कुमार सिंह उर्फ मोनू का उप नाम भले ही चवन्नी सिंह था लेकिन अपराध के बाजार में उसकी कीमत डालर जैसी थी। शिकार का हर हाल में सफाया करने के उसकी खासियत की वजह से ही वह बिहार के बाहुबली पूर्व सांसद शहाबुद्दीन का खास शूटर बन गया था। इस समय उसने दर्जन भर से अधिक लोगों की जान का सौदा कर रखा था। बलिया, मऊ और सिवान (बिहार) जिले के कई लोग उसके निशाने पर थे। बलिया में दोहरे हत्याकांड के गवाहों को मौत के घाट उतारने की तैयारी में था कि इसी बीच लखनऊ में रविवार की रात गोरखपुर एसटीएफ के हत्थे चढ़ गया।

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वर्तमान व पूर्व मंत्री की हत्या की फिराक में था शातिर शूटर : चवन्नी सिंह गोरखपुर जिले के रहने वाले लेकिन पड़ोसी जिले से चुने गए एक विधायक और एक पूर्व मंत्री की हत्या की फिराक में थे। पुलिस सूत्रों के मुताबिक उनकी हत्या की योजना गोरखपुर में उसके शरणदाता पप्पू निषाद ने बनाई थी। वर्ष 2012 के विधान सभा चुनाव में पप्पू निषाद, गोरखपुर ग्रामीण से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाली काजल निषाद की मदद में था। उसी चुनाव में उसकी पूर्व मंत्री और उनकी मदद कर रहे वर्तमान विधायक से उसकी तनातनी हो गई थी। बाद में पप्पू निषाद पर 7 मई 2012 को छात्र संघ चौराहे पर हमला हुआ था। इसके पीछे उसने पूर्व मंत्री का हाथ होने का आरोप लगाया था। उसी रंजिश का बदला लेने के लिए पूर्व मंत्री और उनकी मदद करने वाले पूर्व विधायक की चवन्नी सिंह से हत्या कराने की तैयारी में था।

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चार माह से चवन्नी की फिराक में थी गोरखपुर एसटीएफ : सिवान, बिहार में भारतीय जनता पार्टी के जिला प्रवक्ता और व्यवसायी श्रीकांत भारती की 23 नवंबर 2014 को हुई हत्या के मामले में करीब चार माह पूर्व बिहार पुलिस ने एसटीएफ की मदद से गोरखपुर के मियां बाजार से बस्ती जिले के विकास पाल और जाफरा बाजार से शैलेंद्र यादव को गिरफ्तार किया था। पूछताछ में उन्होंने कबूल किया था कि चवन्नी सिंह के साथ मिलकर बिहार के भाजपा नेता की हत्या की बात कबूल की थी। उनसे पता चला कि चवन्नी सिंह ने भाजपा नेता की हत्या की सुपारी ली थी। उन्होंने कई और लोगों की हत्या की उसकी सुपारी लेने जानकारी दी थी। इसी के बाद से गोरखपुर एसटीएफ उसकी फिराक में पड़ गई थी।

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उड़ीसा में दो शातिरों की गिरफ्तारी के बाद कसा शिकंजा : दो साथियों की गिरफ्तारी के बाद से ही गोरखपुर एसटीएफ ने चवन्नी सिंह को अपने राडार पर ले रखा था। इसी बीच उसके साथियों के तीस जुलाई को उड़ीसा में मौजूद होने की सूचना मिली। एसटीएफ की सूचना पर उड़ीसा के राउरकेला रेलवे स्टेशन पर वहां की जीआरपी और आरपीएफ की मदद से उनको गिरफ्तार कर लिया गया। उनसे पूछताछ में चवन्नी सिंह के बारे में मिली जानकारी के आधार पर एसटीएफ ने लखनऊ में उसकी गिरफ्तारी का जाल बिछाया।

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गोरखपुर में पप्पू निषाद देता था शरण : बेलीपार थाना क्षेत्र के कालाबाग निवासी और गोरखपुर में कैंट थाना क्षेत्र के कूड़ाघाट निवासी पप्पू निषाद गोरखपुर में चवन्नी सिंह का शरणदाता है। उसके साथ पकड़ा गया चंद्रिका निषाद, पप्पू निषाद का गाड़ी चालक था। पूछताछ में उसने बताया है कि उसके पास से बरामद कार्बाइन वह पप्पू निषाद के घर ही छिपा कर रखता था। गोरखपुर में आने पर उसी के घर शरण भी लेता था। याद दिला दे कि 7 मई 2012 को इनोवा गाड़ी से जा रहे पप्पू निषाद पर छात्र संघ चौराहे पर बाइक सवारों ने गोलियां बरसाई थीं। उस समय उसने पास ही स्थित विशाल मेगा मार्ट के शो-रूम में भाग कर जान बचाई थी। उस पर मुंबई के माफिया डान राजा शेट्टी के लिए काम करने का भी आरोप लगता रहा है।

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कार्बाइन को लेकर उलझन में पुलिस : चवन्नी सिंह के पास से बरामद कार्बाइन पुलिस की है। उसे यह कार्बाइन कहां से मिली, इस सवाल को लेकर पुलिस उलझन में है। पूछताछ में उसने बताया कि बाहुबली शहाबुद्दीन के करीबी व्यक्ति ने उसको कार्बाइन दिया था लेकिन पुलिस को उसकी बात पर भरोसा नहीं है। आशंका है कि यह कार्बाइन, सलेमपुर के पूर्व सांसद हरिकेवल प्रसाद के गनर से हुई चोरी की हो सकती है या किसी पुलिसकर्मी की हत्या कर लूटी गई हो सकती है। इसके अलावा नक्सलियों के जरिए भी उसके कार्बाइन हासिल करने की आशंका जताई जा रही है।


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