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अब इलेक्ट्रिक ट्रेन को हरी झंडी का इंतजार

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : पूर्वोत्तर रेलवे में इलेक्ट्रिक ट्रेन का मार्ग धीरे-धीरे प्रशस्त होने

By Edited By: Published: Sat, 01 Aug 2015 12:45 AM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2015 12:45 AM (IST)
अब इलेक्ट्रिक ट्रेन को हरी झंडी का इंतजार

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : पूर्वोत्तर रेलवे में इलेक्ट्रिक ट्रेन का मार्ग धीरे-धीरे प्रशस्त होने लगा है। गोरखपुर से भटनी 70 किमी रेल खंड का विद्युतीकरण पूरा हो चुका है। ट्रायल के बाद शुक्रवार को कमिश्नर आफ रेलवे सेफ्टी (सीआरएस) पीके बाजपेयी ने इस रूट का गहन परीक्षण किया। अब सिर्फ उनकी हरी झंडी का इंतजार है। सीआरएस का सिग्नल मिलते ही गोरखपुर से भटनी-छपरा होते हुए बरौनी तक इलेक्ट्रिक ट्रेन दौड़ने लगेगी।

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सीआरएस का निरीक्षण यान प्लेटफार्म नंबर 2 ए से सुबह 10.30 बजे के आसपास रवाना हुआ। करीब 11 बजे यान कैंट स्टेशन के पहले स्थापित विद्युत सब स्टेशन पर रुक गया। सीआरएस ने सब स्टेशन का भी जायजा लिया और अर्थिग आदि का परीक्षण भी किया। इसके बाद उनका यान धीरे-धीरे कैंट होते हुए कुसम्ही, चौरीचौरा, गौरीबाजार और देवरिया हुए भटनी पहुंचा। शाम 4 बजे के आसपास सीआरएस ने भटनी जंक्शन और उससे आगे के विद्युतीकरण रूट का हाल जाना। भटनी से छपरा 115 किमी रूट का विद्युतीकरण और सीआरएस परीक्षण पहले ही हो चुका है। निरीक्षण के दौरान लखनऊ के मंडल रेल प्रबंधक आलोक सिंह, वाराणसी के मंडल रेल प्रबंधक एसके कश्यप, रेल विद्युतीकरण के मुख्य परियोजना निदेशक एम हुसैन, क्षेत्रीय प्रबंधक जेपी सिंह आदि संबंधित अधिकारी मौजूद थे।

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पूर्वोत्तर रेलवे में विद्युतीकरण

- बाराबंकी से छपरा स्टेशन 425 किमी तक का होना है विद्युतीकरण।

- भटनी से छपरा 115 किमी पर हो चुका है काम, चल रही मालगाड़ी।

- सीवान से थावे 90 किमी रूट पर चल रही हैं इलेक्ट्रिक मालगाड़ी।

- गोरखपुर से भटनी 70 किमी पर पर भी सीआरएस ने किया परीक्षण।

- बाराबंकी से गोंडा तक 89 किमी कार्य पूरा, चल रही मालगाड़ी।

- सिर्फ गोंडा से गोरखपुर 150 किमी तक अधूरा पड़ा है विद्युतीकरण।

- गोंडा से बस्ती 80 किमी रेल खंड पर भी बिछ चुका है विद्युत तार।

- बस्ती से डोमिनगढ़ 60 किमी रूट पर अभी भी चल रहा है काम।

- अक्टूबर तक ही पूरा हो जाएगा पूर्वोत्तर रेलवे में विद्युतीकरण।

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मिलेगी राहत

- रेलवे के खर्चे में आएगी कमी।

- पर्यावरण में प्रदूषण नहीं फैलेगा।

- समय की बचत होगी, ट्रेनें बढ़ेंगी।

- स्टेशनों पर बिजली की व्यवस्था।

- तेल से संभावित दुर्घटनाएं खत्म।


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