हर घर में शौचालय नहीं, कैसे बने स्मार्ट सिटी
जागरण संवाददाता, गोरखपुर: नगर निगम का दर्जा मिले दो दशक बीत गया। महानगर की आबादी बढ़ी और क्षेत्रफल क
जागरण संवाददाता, गोरखपुर: नगर निगम का दर्जा मिले दो दशक बीत गया। महानगर की आबादी बढ़ी और क्षेत्रफल का भी विस्तार हुआ। बावजूद इसके यह शहर विकसित शहरों में आज तक शुमार नहीं हो सका। अनियोजित विकास, गंदगी, सड़क, नाली, सीवर लाइन जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए रोना आज भी है। प्रधानमंत्री ने देश में स्मार्ट सिटी के चयन की तैयारी की है तो यहां के नागरिकों का भी ऐसी सिटी का बाशिंदा होने का सपना आंखों में तैरना स्वभाविक है।
प्रधानमंत्री की इस सोच में उत्तर प्रदेश के 13 शहरों को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिलने की उम्मीद है। सरकार ने इसके लिए रायशुमारी को विशेष महत्व दिया है। इसके लिए जरूरी 15 मानक भी तय किए हैं। इन मानकों में स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहर में शौचालयों की स्थिति महत्वपूर्ण मानी गई है लेकिन इस मानक पर यहां की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। मलिन बस्तियां इसकी गवाह हैं। तमाम नागरिकों को खुले में शौच का सहारा लेना पड़ता है। शायद यही कारण है नगर नियोजन के विशेषज्ञ स्मार्ट सिटी के रूप में पूरे अंक देने पर सहमत नहीं हैं। ऐसे में जरूरी है कि व्यवस्था ऐसी हो कि कोई भी खुले में शौच न जाए।
शहरी नियोजन व विकास की जिम्मेदारी संभालने वाले नगर निगम के दावे में तो शहर के सभी 1.30 लाख घरों में शौचालय सुविधा है लेकिन विभागीय कागजों में इसका कोई रिकार्ड ही नहीं है। अब जबकि स्मार्ट सिटी के चयन की बात चली है तो नगर निगम ने शहर में शौचालयों का सर्वे शुरू कराया है।
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सुलभ शौचालयों की भी दशा ठीक नही
व्यक्तिगत शौचालयों की कमी तो है ही, शहर के प्रमुख बाजारों में भी प्रसाधन केंद्रों का अभाव है। जहां-तहां बने मूत्रालयों की भी दशा ठीक नहीं है। खासतौर से महिलाओं के प्रसाधन की बड़ी समस्या है। कागजी रिकार्ड में पूरे शहर में कुल 84 सुलभ शौचालय हैं लेकिन रख-रखाव के अभाव में गंदगी व उसकी जर्जर हालत उसे प्रयोग के लायक नहीं रखती।
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निगम के रिकार्ड में यहां हैं सुलभ शौचालय
- पुर्दिलपुर, धर्मशाला बाजार, दुर्गाबाड़ी के पास, कुर्मियान टोला, जटेपुर उत्तरी, जगेश्वर पासी चौराहा, अंबेडकर कालोनी सूर्यकुंड, अंबेडकर कालोनी सूर्यकुंड रेलवे लाइन, माधोपुर, मोहरीपुर, दिलेजाकपुर, महेवा टीपी नगर, गल्ला मंडी में व मंडी के पास, महेवा सब्जी मंडी में, फुलवरिया, मिर्जापुर, तुर्कमानपुर मलिन बस्ती, इलाहीबाग, दीवान बाजार, न्यू टीपी नगर, बसंतपुर सराय, गाजी रौजा, शेषपुर कौवादह, खूनीपुर पानी टंकी के पास, मिया बाजार हट्ठी माता मंदिर के पास, छोटे काजीपुर, छोटी जेल के बगल में, घोषीपुरवा कैंसर हास्पिटल के पास, महिला चिकित्सालय के सामने, पादरी बाजार, राप्ती काम्पलेक्स के पास, बशारतपुर मलिन बस्ती, सिंघड़िया, बिछिया रामलीला मैदान, मोहद्दीपुर चारफाटक, हड़हवा फाटक पुलिस चौकी, रेलवे बस स्टेशन उत्तरी गेट, रेलवे बस स्टेशन दक्षिण गेट, रेलवे माल गोदाम के सामने, रेलवे स्टेशन जीडीए कालोनी के पास, कलेक्ट्री दक्षिणी गेट, विकास भवन के पास, दीवानी कचहरी दक्षिणी गेट, इंदिरा बाल बिहार के पास, बशारतपुर आइसक्रीम फैक्ट्री, डी ब्लाक सूर्यकुंड, अधियारी बाग, गोरखनाथ के पास, माधोपुर, बसंतपुर तकिया, नरसिंहपुर कच्ची बगिया के पास।
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स्मार्ट सिटी के ये हैं मानक
-शौचालयों की सुविधा वाले घरों की संख्या की स्थिति
-नागरिकों की शिकायत का निवारण व लंबित मामलों की संख्या का हाल
-पारदर्शिता पर शहर की अपनी ई मासिक पत्रिका की स्थिति
-नगर निकाय परियोजनाओं के बजट का न्यूनतम दो साल का ब्यौरा वेबसाइट पर
-निर्वाचित नगर प्रतिनिधियों के पारित प्रस्ताव वेबसाइट पर
-नगर निकाय योजनाओं की तैयारी में वार्डवार नागरिकों से परामर्श का विवरण
-नागरिक सेवाओं में देरी पर जुर्माना और उसकी वसूली का ब्यौरा
-नगर निकायों में पिछले तीन सालों का टैक्स, शुल्क व अन्य वसूली का विवरण
-नगर निकाय कर्मचारियों के मासिक वेतन का ब्यौरा
-नगर निकायों के वर्ष 2012-13 तक के खाते के ऑडिट का ब्यौरा
-कर व उपभोक्ता शुल्क, अन्य राजस्व आय का निकाय के बजट में हिस्सा
-जलापूर्ति व पाइपलाइन के रखरखाव पर खर्च का प्रतिशत
-नगर निगम की कुल आय में आतरिक स्त्रोतों से आय की हिस्सेदारी
-जेएनएनआरयूएम के तहत शहरों में किया गया सुधार
-जेएनएनआरयूएम के तहत 2012 तक पूरी की गई परियोजनाओं का ब्यौरा
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महानगर एक नजर में
कुल जनसंख्या- 8,36,129
पुरुष- 3,97,078
महिला-4,39,051
कुल मलिन बस्ती- 125
मलिन बस्ती की आबादी- 3,44,492
कुल घरों की संख्या- 1.30
कुल वार्डो की संख्या- 70
सफाई कर्मी- 2548
निगम सीमा क्षेत्र- 147.50 वर्ग किमी
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क्या है विशेषज्ञों की राय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जो पैमाने दिए गए हैं, इसे यहां पूरा करने में समय लगेगा। इसके लिए नगर निगम, प्रशासन, जिला प्रतिनिधि व विकास से जुड़े अन्य कार्यालयों में भी सुविधाएं देने की होड़ मचेगी। अभी यहां नागरिक सुविधाओं के मामले में काफी कमी है, इसलिए दस में चार नंबर ही दे सकता हूं।
- आशीष श्रीवास्तव, आर्किटेक्ट
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महानगर के सुनियोजित विकास के लिए गोरखपुर महायोजना 2021 शासन से स्वीकृत है और वर्तमान में प्रभावी भी है। इस सबके बावजूद बुनियादी सुविधाओं की कमी है, जिसे अब तक दूर नहीं किया जा सका। यहां ट्रांसपोर्टेशन, सीवर, ड्रेनेज सिस्टम है ही नहीं, स्मार्ट सिटी बनने में यही सबसे बड़ी बाधा होगी। मैं दस में पांच नंबर दूंगा।
- वीके विद्यार्थी, पूर्व नगर नियोजक
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एक ऐसा शहर जहा सारी सुविधाएं हों, वहा कौन नहीं रहना चाहेगा, स्मार्ट सिटी योजना काफी अच्छी है। पर इस योजना में शामिल होने के लिए सरकार ने जो मानक तय किए हैं उन पर खरा उतरने के लिए अभी हमारे शहर को और वक्त लगेगा। एक बहू अपना ससुराल इसलिए छोड़ देती है क्योंकि वहां शौचालय नहीं है। महानगर में अब भी स्थिति सोचनीय है। काफी संख्या में ऐसे घर हैं जहां शौचालय नहीं हैं। स्मार्ट सिटी के लिए अपने शहर को शौचालय के मानक पर मैं पांच नंबर ही दे सकूंगा।
डा.गोविंद पांडेय
पर्यावरणविद एवं एसोसिएट प्रोफेसर
मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय
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शहरों को सुंदर बनना ही चाहिए, साफ-सुथरे, सारी सुविधाओं से पूर्ण, पर्यावरण की दृष्टि से उपयुक्त शहर बनने ही चाहिए। स्मार्ट सिटी योजना के लिए हमारे शहर का चयन हो, अच्छी बात है। पर इस योजना में सम्मिलित होने के मानकों पर गोरखपुर खरा नहीं उतरता। अब पहले बिंदु घरों में शौचालय को ही देखें। हमारे शहर में अब भी बड़ी संख्या में लोगों के घरों में शौचालय नहीं हैं। ऐसे में स्मार्ट सिटी के लिए चयनित होने में मुश्किल आएगी। शौचालय के मानक पर मैं अपने शहर को 10 में से 7 अंक दूंगा।
डा.शिवाकांत सिंह
एसोसिएट प्रोफेसर
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय