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जीवन पद्धति है आयुर्वेद, जरूरत है जागरुकता की : राज्यपाल

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : दिनो-दिन महंगी होती चिकित्सा में आयुर्वेद पद्धति एक सहज, लाभप्रद और स

By Edited By: Published: Mon, 27 Apr 2015 01:53 AM (IST)Updated: Mon, 27 Apr 2015 01:53 AM (IST)
जीवन पद्धति है आयुर्वेद, जरूरत है जागरुकता की : राज्यपाल

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : दिनो-दिन महंगी होती चिकित्सा में आयुर्वेद पद्धति एक सहज, लाभप्रद और सस्ता विकल्प है। वास्तव में यह चिकित्सा पद्धति नहीं यह जीवन पद्धति है जो योग, प्राणायाम के माध्यम से हमें निरोग करती रही है। प्राचीन काल में पहले धनवंतरि, सुश्रुत और चरक जैसे महामनीषियों ने आयुर्वेद को जनहित में बढ़ाया। बदलती जीवनशैली से उपज रहीं नित नई बीमारियों से बचाव में आयुर्वेद कारगर प्रणाली है।

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यह कहना है राज्यपाल राम नाइक का। राज्यपाल रविवार को यहां अखिल भारतीय आयुर्वेद विकास परिषद न्यास, गोरखपुर की ओर से भिषक चिंतामणि कविराज पं.आत्माराम दुबे के अभिनंदन ग्रंथ का लोकार्पण कर रहे थे। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के दीक्षा भवन सभागार में आयोजित समारोह में राज्यपाल ने स्वयं का उदाहरण देते हुए कैंसर जैसी बीमारी के उपचार में आयुर्वेद और योग आदि प्रक्रिया की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। आयुर्वेद को लेकर अब भी लोगों में अपेक्षाकृत कम जागरुकता है,इसे और बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है।

इससे पहले स्वस्ति वाचन के साथ शुरू हुए समारोह में राज्यपाल राम नाइक का संस्कृत में अभिनंदन किया गया। सांसद कुशीनगर राजेश पांडेय, काशीनाथ मिश्र तथा दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.अशोक कुमार ने राज्यपाल सहित अन्य अतिथियों का अभिवादन किया। कार्यक्रम में बीएचयू वाराणसी के पूर्व संकायाध्यक्ष आयुर्वेद डा.जेके ओझा, दीदउ गोविवि के कुलपति प्रो.अशोक कुमार,पं.आत्माराम दुबे, सांसद कुशीनगर राजेश पांडेय और काशीनाथ मिश्र सहित आयुर्वेद विकास परिषद न्यास के अनके सम्मानित सदस्य-पदाधिकारी व गणमान्य जनों की मौजूदगी रही।

आपदा बता कर नहीं आती, सजगता-जागरुकता जरूरी

अपने उद्बोधन की शुरुआत राज्यपाल ने नेपाल और भारत में आए भीषण भूकंप से प्रभावित और मृत हुए लोगों के प्रति संवेदना के साथ की। उन्होंने कहा कि इस समय नेपाल के साथ-साथ हमारे देश के बिहार और उत्तर प्रदेश भूकम्प से प्रभावित हुए हैं। आपदा बताकर नहीं आती, लेकिन हमारी सतर्कता और सहयोग की भावना से उससे मिलने वाली पीड़ा कम हो जाती है। नेपाल में लोग इस समय भूकम्प के कारण कष्ट में हैं। हमारी संवेदना उनके साथ है। समारोह में मौजूद सभी जनों ने भूकंप आपदा में काल-कवलित हुए लोगों और घायलों के प्रति संवदेना व्यक्त की तथ दो मिनट मौन रह कर शोक व्यक्त किया।


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