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संवेदनशील इलाका, पूर्वानुमान संभव नहीं

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : दुनिया केसबसे पहले एटम बम के विस्फोट से जो ऊर्जा निकली उससे शायद 10,00

By Edited By: Published: Sun, 26 Apr 2015 01:42 AM (IST)Updated: Sun, 26 Apr 2015 01:42 AM (IST)
संवेदनशील इलाका, पूर्वानुमान संभव नहीं

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : दुनिया केसबसे पहले एटम बम के विस्फोट से जो ऊर्जा निकली उससे शायद 10,000 गुना ज्यादा ऊर्जा एक तीव्र भूकंप से निकलती है। इसके अलावा खौफ खाने की एक और वजह है कि भूकंप किसी भी वातावरण, मौसम और दिन के किसी भी वक्त में आ सकता है। हालांकि वैज्ञानिक इस बात का थोड़ा-बहुत अंदाजा तो लगा सकते हैं कि किस जगह पर जबरदस्त भूकंप आएगा मगर कब आएगा इसका वे ठीक-ठीक पता नहीं लगा सकते।

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भूकंप के लिहाज से संवेदनशील है यह क्षेत्र

गोरखपुर विश्वविद्यालय में भूगोल विभाग के प्रोफेसर डा.केएन सिंह के मुताबिक भारत में भूकंप के लिहाज से गुजरात और हिमालय का क्षेत्र सर्वाधिक संवेदनशील है। दोनों जोन 5 में आते हैं। हिमालय से सटे पूर्वी उप्र का क्षेत्र जोन-4 में आता है। यह क्षेत्र भारतीय और यूरोपियन प्लेट के जोड़ पर स्थित है। यह प्लेटें खिसकती रहती हैं। इस क्रम में जब एक दूसरे पर चढ़ने का प्रयास करती हैं तो धरती हिलती है जिसे भूकंप कहते हैं। इसका पूर्वानुमान संभव नहीं है। क्षेत्र की संवेदनशीलता के लिहाज से सिर्फ प्रतिरोधात्मक उपाय ही किए जा सकते हैं। भूकंप के पहले झटके के बाद करीब 36 घंटे तक झटके आने की संभावना रहती है। लेकिन इसकी तीव्रता कम होती जाती है।

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सटीक भविष्यवाणी संभव नहीं

पर्यावरणविद गोविंद पांडेय कहते हैं प्रागैतिहासिक समय से ही हमारी धरती में भूकंप होते रहे हैं। हर साल हजारों भूकंप होते हैं, जिनमें से ज्यादातर हम महसूस नहीं कर पाते हैं। क्योंकि या तो वो रिक्टर स्केल पर उनका परिमाणम बहुत कम या फिर ऐसी जगह होते हैं जहाँ जान माल का कोई नुकसान नहीं होता है। भूकंप की आशका के आधार पर देश को पाच जोन में बांटा गया है। हमारा यह क्षेत्र जोन 4 में है, जो कि सबसे ज्यादा संवदेनशील जोन 5 से थोड़ा कम है। भूकंप की दीर्घकालिक भविष्यवाणी किए जाने की दिशा में अनेक वैज्ञानिक कार्य हुए हैं, पर सटीक समय बताया जाना अभी तक संभव नहीं हो सका है। भूकंप रोकना तो किसी के बस की बात नहीं है, हा इतना जरूर है कि इनसे सावधान होकर जानमाल के नुकसान को कम जरूर किया जा सकता है। भूकंपरोधी मकानों के निर्माण, पुराने मकानों को भूकंप सहने लायक बनाने, लोगों की जागरुकता,आपदा प्रबंधन में दक्ष करने आदि के माध्यम से इसके प्रभाव से कुछ हद तक बचा जा सकता है।

भविष्य में और तबाही संभव -एमएस लाल

मौसमविद् एमएस लाल के अनुसार फिलहाल तो यह आसन्न संकट के बारे में तबाही का संकेत है। पूर्वी उत्तर प्रदेश से लेकर सटे बिहार तक का इलाका भूकंप के लिहाज से संवेदनशील है। इस बार भूकंप का जो केंद्र है,उसी के आस-पास केंद्र बनाकर आगे इससे भी भयंकर भूकंप आने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। वह इसे गत एक दशक से हो रहे मौसम के अप्रत्याशित बदलाव से भी जोड़कर देखते हैं।

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