शीघ्र ही बदल जाएगी कोषागारों की भूमिका
गोरखपुर : नए वित्तीय वर्ष से वित्तीय लेन देन के लिए विभागों के अधिकारियों- कर्मचारियों कोषागार का चक
गोरखपुर : नए वित्तीय वर्ष से वित्तीय लेन देन के लिए विभागों के अधिकारियों- कर्मचारियों कोषागार का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। शीघ्र ही सभी विभाग जिला कोषागार से आनलाइन जुड़ जाएंगे। आहरण-वितरण के लिए कोषागार को स्टेट बैंक की वेबसाइट के भरोसे नहीं रहना होगा। विभागों के आहरण वितरण अधिकारी कोषागार से आनलाइन जुड़ जाएंगे और पूरी प्रक्रिया पेपरलेस हो जाएगी।
दरअसल शासन ने कोषागार को वित्तीय सांख्यिकी निदेशालय के सेंट्रल सर्वर से जोड़ने की व्यवस्था की है। इसके तहत पायलट प्रोजेक्ट के रूप में प्रदेश के एक दर्जन जिलों के कोषागारों में इसे लागू भी कर दिया गया है। नए वित्तीय साल में गोरखपुर में भी इसके शुरू कराने की तैयारी पूरी हो गई है। कोषागार प्रशासन ने इसके लिए भारत संचार निगम को आवेदन किया है। इस व्यवस्था से खासतौर से मार्च माह में भीड़ बढ़ने की समस्या दूर हो जाएगी।
अभी तक की व्यवस्था में शासन से जारी होने वाली धनराशि के लिए विभाग हाथ से तैयार बिल ले जाकर कोषागार में जमा करते हैं और फिर वहां अपलोड कराते हैं। अपलोडिंग स्टेट बैंक की वेबसाइट पर होती है। समस्या यह है कि स्टेट बैंक की वेबसाइट अक्सर जवाब दे जाती है। साथ ही कोषागार प्रशासन इसे पूरी तरह सुरक्षित भी नहीं मानता है। शासन ने इस समस्या से बचने के लिए ही सेंट्रल सर्वर से जोड़ने की व्यवस्था की है। इस व्यवस्था में आहरण वितरण अधिकारी अपने कार्यालय में ही कंप्यूटर पर बिल बनाएंगे, खुद ही टोकन जारी करेंगे और फिर उसे कोषागार को आनलाइन भेज देंगे। कोषागार प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश के लखनऊ, बाराबंकी, उन्नाव, उरई, इलाहाबाद समेत एक दर्जन जिलों में इसकी शुरुआत होने के बाद यहां भी सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।
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सेंट्रल सर्वर से जुड़ने और आन लाइन व्यवस्था के लिए 24 घंटे कनेक्टिविटी जरूरी है। भारत संचार निगम को अलग से लाइन बिछाने के लिए आवेदन कर दिया गया है। उस पर होने वाला खर्च भी जमा कर दिया गया है।
-पीके सिंह, मुख्य कोषाधिकारी