गलत आंकड़े देने पर आइजी ने दो सीओ से मांगा स्पष्टीकरण
जागरण संवाददाता, गोरखपुर : अपराध का ग्राफ नीचे रखने के लिए पुलिस आंकड़ों में हेरफेर तो करती ही
जागरण संवाददाता, गोरखपुर :
अपराध का ग्राफ नीचे रखने के लिए पुलिस आंकड़ों में हेरफेर तो करती ही रहती है लेकिन आंकड़ों की इसी बाजीगरी ने जोन के दो क्षेत्राधिकारियों के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। आइजी अमिताभ यश ने जोन के प्रत्येक सर्किल से लंबित विवेचनाओं के साथ ही अपराध से संबंधित अन्य कई जानकारी मांगी थी। क्षेत्राधिकारियों द्वारा भेजे गए आंकड़ों का बाद में आइजी कार्यालय से सत्यापन कराए जाने पर पता चला कि दो सर्किल से भेजे गए आंकड़े गलत हैं। इसके लिए आइजी ने संबंधित क्षेत्राधिकारियों जवाब-तलब किया है।
आइजी ने जोन के तीनों पुलिस उप महानिरीक्षकों, सभी पुलिस अधीक्षकों, अपर पुलिस अधीक्षकों और उपाधीक्षकों को 1 फरवरी को पत्र भेज कर पत्र भेजकर वर्ष 2004 से अब तक के दर्ज मुकदमों की जानकारी मांगी थी। साथ में उन्होंने यह भी स्पष्ट करने को कहा था कि कितने मुकदमे अभी लंबित हैं और इसकी वजह क्या है? गोरखपुर के कैंट और संतकबीरनगर जिले की खलीलाबाद सर्किल से भी यह रिपोर्ट भेजी गई थी। बाद में आइजी कार्यालय द्वारा जोन की सभी सर्किल कार्यालय से अपराध रजिस्टर अपने कार्यालय में मंगाकर क्षेत्राधिकारियों द्वारा भेजे गए आंकड़ों का सत्यापन करया गया। इसमें पता चला कि कैंट और खलीलाबाद क्षेत्राधिकारी द्वारा भेजी गई मुकदमों की संख्या कम कर दिखाई गई है।
आइजी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार कैंट क्षेत्राधिकारी के कार्यालय से भेजी गई मुकदमों की कुल संख्या 1528 दिखाई गई थी। इसमें कैंट थाने में 860, खोराबार में 312 और शाहपुर में 256 मुकदमे लंबित दिखाए गए थे जबकि अपराध रजिस्टर से इसका मिलान करने पर सर्किल में कुल मुकदमों की संख्या 2376 थी। इसी तरह खलीलाबाद क्षेत्राधिकारी कार्यालय से भेजी गई रिपोर्ट में सर्किल के दो थानों खलीलाबाद में 40 और धनघटा में 44 मुकदमे ही लंबित दिखाए गए थे लेकिन उनकी वास्तविक संख्या इससे अधिक थी। गलत जानकारी देने पर आइजी ने दोनों क्षेत्राधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है।