सुधीर ने पुलिस अधिकारियों में बांटे लाखंों रुपये
गोरखपुर : दशक की सबसे बड़ी वारदात में मुल्जिम बनने के बाद भी शातिर अपराधी सुधीर सिंह का गोरखपुर व द
गोरखपुर :
दशक की सबसे बड़ी वारदात में मुल्जिम बनने के बाद भी शातिर अपराधी सुधीर सिंह का गोरखपुर व देवरिया पुलिस की द्वारा उसकी गिरफ्तार में कोई रुचि न लेना और विवेचना से उसका नाम निकाला जाना अनायास नहीं था। उसने विवेचना अधिकारी समेत गोरखपुर के एक पूर्व व वर्तमान कुछ बड़े पुलिस अधिकारियों को लाखों रुपये दिए हैं। लखनऊ स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के हत्थे चढ़े सुधीर सिंह ने एसटीएफ की पूछताछ में यह खुलासा किया है। उसने किस पुलिस अधिकारी और विवेचना अधिकारी को कितने रुपये दिए हैं, उसका पूरा विवरण एसटीएफ को दिया है। उसने एक पुलिस अधिकारी को पचास लाख रुपये देने की बात कही। एसटीएफ लखनऊ सूत्रों की मानें तो छोटू सिंह हत्याकांड में मुल्जिम बनने से बचने के लिए सुधीर सिंह अभी तक तकरीबन नब्बे लाख रुपये अधिकारियों व गवाहों में बांट चुका है।
10 नवम्बर 2013 को गुलरिहा थाना क्षेत्र के शिवपुर सहबाजगंज में एक ब्रह्माभोज के दौरान लग्जरी वाहनों से आए बदमाशों ने अत्याधुनिक असलहों से ताबड़तोड़ फाय¨रग कर छोटू सिंह को मौत के घाट उतार दिया था। इस घटना में चार अन्य लोग घायल हो गए। इस सनसनीखेज में घटना में सुधीर सिंह व उसके भाई बिट्टू सिंह समेत छह लोग नामजद हुए थे। इस मामले में एक व्यक्ति को साजिश रचने के मामले में गिरफ्तार कर पुलिस ने जेल भेज दिया था। बाद में सुधीर सिंह व पप्पू निषाद की गिरफ्तारी पर पांच-पांच हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया था। इस बीच पप्पू निषाद अदालत में हाजिर होकर जेल चला गया था, जबकि दो अन्य मुल्जिमों का नाम विवेचना से हटा दिया गया था। इन सबके बीच सच यह है कि पुलिस ने सुधीर की गिरफ्तारी को लेकर कभी सक्रियता नहीं दिखाई। यह तब है जब छोटू सिंह की हत्या में कारबाइन के अलावा एसएलआर का भी प्रयोग हुआ था। बाद में सुधीर ने अपने राजनीतिक संबंधों के चलते इस घटना की विवेचना देवरिया ट्रांसफर करा दी। शासन स्तर पर हुआ यह निर्देश अंजू सिंह के आवेदन पर जारी हुआ था। देवरिया क्राइम ब्रांच ने यह विवेचना शुरु की। पुलिस सूत्रों के मुताबिक इस बीच गोरखपुर पुलिस की ओर से उसका खूब सहयोग किया गया। हालत यह हुई की वादी समेत अधिकांश गवाह सुधीर के पक्ष में खड़े हो गए। इसके चलते देवरिया के क्राइम ब्रांच को आधार मिल गया और लाभ के चलते विवेचना से उसका नाम निकाल दिया गया, लेकिन किसी अधिकारी ने इस पर आपत्ति नहीं जताई। एसएसपी गोरखपुर आरके भारद्वाज को जब इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने इस पर आपत्ति जताई। इस बाबत उन्होंने पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने कहा कि पर्यवेक्षण अधिकारी वह हैं और उनकी अनुमति के बिना कैसे उसका नाम निकाल दिया गया। लिहाजा डीआइजी ने इस बाबत पत्र लिखकर नए सिरे से विवेचना करने का निर्देश दिया। विवेचना चल रही थी।
एसटीएफ सूत्रों के मुताबिक इस बीच वह लखनऊ में रहकर ठेका मैनेजमेंट के धंधे में उतर गया था। सब कुछ ठीक चल रहा था। इस बीच उसका एक व्यक्ति से पंगा हो गया। उसने पैरवी की और सुधीर को गुरुवार को ट्रांसगोमती क्षेत्र में एसटीएफ के हत्थे चढ़ गया। पुलिस ने उसके पास से जो रिवाल्वर बरामद किया है, वह सिर्फ पुलिस महकमें को मिलता है। पूछताछ में उसने बताया कि वह रिवाल्वर उसके पिता के जमाने की है। उस रिवाल्वर पर स्वास्तिक का निशान बना हुआ है।
गोरखपुर पुलिस नहीं जाएगी पूछताछ करने : वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आरके भारद्वाज ने बताया कि चूंकि विवेचना देवरिया पुलिस कर रही है, इसलिए गिरफ्तारी आदि की कार्रवाई उसे ही करनी है। यहां से कोई टीम पूछताछ करने नहीं जाएगी। इस बाबत गुरुवार की रात में उन्होंने एसपी देवरिया को बता दिया था। एसपी देवरिया डाक्टर एस चन्नप्पा ने कहा कि पूछताछ के लिए पुलिस टीम भेजी जाएगी। वारंट बी पर लाने के मामले में एसएसपी ने कहा कि इस संदर्भ में विचार किया जाएगा।