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मैने पिस्टल से नहीं चलाई गोली: थानेदार

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : कुशीनगर जिले के जटहां में भाकियू के साथ हुए संघर्ष में थानेदार पवन सिंह

By Edited By: Published: Mon, 24 Nov 2014 02:10 AM (IST)Updated: Mon, 24 Nov 2014 02:10 AM (IST)
मैने पिस्टल से नहीं चलाई गोली: थानेदार

जागरण संवाददाता, गोरखपुर :

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कुशीनगर जिले के जटहां में भाकियू के साथ हुए संघर्ष में थानेदार पवन सिंह के सिर, जबड़ा व पैर आदि में चोटें आई हैं। वह गोरखपुर शहर के एक निजी चिकित्सालय में अपना इलाज करा रहे हैं। आरोप है कि थानेदार ने प्रदर्शन कर रहे भाकियू कार्यकर्ताओं को नियंत्रित करने के लिए अपनी पिस्टल से गोली चलाई थी जिससे कई कार्यकर्ता घायल हो गए थे।

इस प्रकरण में जागरण संवाददाता ने अस्पताल में पहुंचकर जब थानेदार से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि 'मैने पिस्टल से गोली नहीं चलाई। थाने के पीछे जरार गांव में लोगों को डराने के लिए पिस्टल हाथ में लेकर सिर्फ ताना था। यदि मुझे गोली चलाना होता तो हेलमेट लगाया होता और पुलिस बल को साथ रखता।' थानेदार ने बताया कि पिस्टल तानने के बाद भीड़ का आक्रामक रूप देखते हुए थाने की ओर भागकर पहुंचा। उसी दौरान पथराव करते हुए भीड़ लाडी डंडे के साथ थाने में घुस गई। उनकी आंख में मिर्च झोककर पिस्टल छीन ली गई। पिस्टल अभी तक नहीं मिली है।

तो लोगों को गोली कैसे लगी? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता है। वीडियो फुटेज में पिस्टल छीनने का जिक्र है। उससे भी पुष्टि होती है। थानेदार के अनुसार चौकीदार ने बताया है कि प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे भाकियू के नेता के पास पिस्टल थी। उन्होंने बताया कि उन्होंने भीड़ को भगाने के लिए सिर्फ पांच मिर्जी बम व रबड़ की गोलिया दागी थीं। उनके पास मौजूद एक युवक ने अपने को जरार का प्रधान बताते हुए दरोगा द्वारा पिस्टल से गोली नहीं चलाने की बात कही। उन्होंने कहा कि अपने को भाकियू का जिला अध्यक्ष बताने वाले स्वामीनाथ यादव का भाकियू से संबंध नहीं है। भाकियू के के असली जिला अध्यक्ष रणजीत सिंह है। स्वामीनाथ के खिलाफ धोखा-धड़ी का मुकदमा भी दर्ज है। लिहाजा उसके द्वारा भाकियू के प्रदर्शन को एलान को गंभीरता से नहीं लिया गया, इसलिए अतिरिक्त पुलिस बल की मांग भी नहीं की गई थी। उन्होंने कहा कि वह फर्जी ढंग से पैड छपवाकर अपने को भाकियू का जिला अध्यक्ष बताते हुए अधिकारियों को पत्रक दिया। ऐसे में उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए था।


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