तारिणी व ईशा के साथ थिरकी शाम
जागरण संवाददाता, गोरखपुर : लड़कियों के उपनयन संस्कार के बहाने पूर्वाचल में एक नई सामाजिक परंपरा का सृ
जागरण संवाददाता, गोरखपुर : लड़कियों के उपनयन संस्कार के बहाने पूर्वाचल में एक नई सामाजिक परंपरा का सृजन हुआ। इसकी साक्षी बनीं भारत की प्रथम महिला आइपीएस किरण वेदी व पूर्व पुलिस महानिदेशक विलास मणि त्रिपाठी। नारीत्व को नई ऊंचाइयां देने के उद्देश्य से पूर्वाचल में पहली बार लड़कियों के उपनयन संस्कार की पहल हुई है जिसकी पूर्व संध्या पर शनिवार को विश्वविद्यालय के प्रेक्षागृह में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। प्रस्तुति उन बच्चियों तारिणी व ईशा की थी जिनका उपनयन संस्कार होना है। दोनों बच्चियों ने ध्वनि व प्रकाश से सुसज्जित मंच पर कत्थक नृत्य प्रस्तुत करना शुरू किया तो उनके साथ शाम भी थिरक उठी।
कार्यक्रम की शुरुआत पाणिनी कन्या महाविद्यालय वाराणसी की वेदपाठी छात्राओं अर्चना, विद्या, दिव्या, स्नेहा व इंद्रजा द्वारा मंगलाचरण से हुई। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच तारिणी ने नृत्य प्रस्तुत कर लोगों की तालियां बटोरीं। इसके बाद तारिणी, ईशा व उनकी मां गौरी शर्मा त्रिपाठी की शिष्या नीति ने कत्थक प्रस्तुत किया। संस्कृत विदुषी मेधा दिवेकर ने नारी सशक्तिकरण पर प्रस्तुति दी। प्रस्तुति के दौरान उन्होंने 'सुनो द्रोपदी शस्त्र उठाओ, अब गोविंद ना आएंगे' बोल के साथ नई ऊर्जा प्रवाहित की। विश्वविद्यालय की अंग्रेजी विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. विनोद सोलंकी, पाणिनी महाविद्यालय वाराणसी की आचार्य नंदिता शास्त्री व लंदन से आई शीतल बनर्जी ने बच्चियों को आशीर्वाद दिया। गौरी शर्मा त्रिपाठी ने वेदों की महत्ता बताते हुए संस्कारों के महत्व पर प्रकाश डाला। शशांक त्रिपाठी व मृगांक त्रिपाठी ने अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर लेफ्टिनेंट जनरल श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी, कमिश्नर आरके ओझा व महापौर डा. सत्या पांडेय सहित अनेक गण्यमान्य लोग मौजूद थे।
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बच्चियों का उपनयन संस्कार आज
लेफ्टिनेंट जनरल श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी की नातिनों तारिणी व ईशा का उपनयन संस्कार रविवार को उनके पैतृक गांव बरपार देवरिया में होगा। संस्कार कराने के लिए वाराणसी से पांच महिला विद्वान आई हैं। यह जानकारी श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने दी।