खाद की सत्तर दुकानों पर छापे
जागरण संवाददाता, गोरखपुर : खाद की कालाबाजारी रोकने के प्रति आखिरकार प्रशासन और कृषि विभाग ने गंभी
जागरण संवाददाता, गोरखपुर :
खाद की कालाबाजारी रोकने के प्रति आखिरकार प्रशासन और कृषि विभाग ने गंभीरता दिखाई। शनिवार को टीम बनाकर पूरे जिले में खाद की 70 दुकानों पर छापे मारे गए। इस दौरान कैंपियरगंज के करमैनी घाट स्थित गुप्ता खाद भंडार में अलग-अलग ब्रांड के खाद के खाली बोरे मिलने से आशंका जताई जा रही है कि वहां नकली खाद का कारोबार होता था। उस दुकान को सील कर दिया गया।
इसे लेकर 70 दुकानों पर छापे मारे गए। अनियमितता मिलने पर 9 दुकानें निलंबित कर दी गई। इनसे जांच के लिए 31 नमूने भी लिए गए। कैंपियरगंज तहसील में उपजिलाधिकारी संयुक्त मजिस्ट्रेट सुनील कुमार वर्मा, जिला कृषि अधिकारी मृत्युंजय सिंह और तहसीलदार विपिन कुमार सिंह की टीम ने करमैनीघाट में गुप्ता खाद भंडार के अलावा भैंसला के 4 दुकानों पर छापे मारे और 11 नमूने लिए गए।
उप निदेशक कृषि रमाशंकर सिंह की अगुआई में चौरीचौरा की ओर गई टीम ने 13 दुकानों और यहां स्थित एशियन और पूर्वाचल फर्टिलाइजर कंपनी पर छापे मारे और सात नमूने लिए।
भूमि संरक्षण अधिकारी नरेंद्र कुमार त्रिपाठी और उनकी टीम ने खजनी क्षेत्र के 10 दुकानों पर छापा डाला। टीम को देखकर निगम खाद भंडार, त्रिपाठी उर्वरक केंद्र और यादव खाद भंडार के मालिक और कर्मचारी दुकान बंदकर फरार हो गए। इनकी दुकानें निलंबित कर दी गई। जिला कृषि रक्षा अधिकारी अनिल मिश्र टीम के साथ गोला क्षेत्र में थे। इन लोगों ने 18 दुकानों पर छापे डाले। 5 नमूने लिए। टीम को देख दुकान बंद कर फरार होने वाले आरके ट्रेडर्स हरपुर, आइएफडीसी केंद्र गोपालपुर और एग्रीक्लीनिक और एग्रीबिजनेस सेंटर के दुकानदार दुकान बंद कर फरार हो गए। इनकी दुकानें निलंबित कर दी गई।
अपर जिला कृषि अधिकारी सुदर्शन सिंह की टीम ने सहजनवा क्षेत्र में 15 दुकानों पर छापे मारे। दो दुकानें निलंबित की गई और 6 नमूने लिए गए। उप संभागीय अधिकारी कुमारी मेनका की टीम ने भटहट और चरगांवा के 9 दुकानों पर छापे मारे और दो नमूने लिए।
पिछले दिनों जागरण ने यूरिया की कालाबाजारी पर दो दिनों से प्रमुखता से खबर छापी। नतीजतन प्रशासन और विभाग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए शनिवार को ताबड़तोड़ छापे मारे।
दाम के साथ ही बढ़ा
नकली खाद का धंधा
गोरखपुर : पिछले कुछ वर्षो में खाद खासकर फास्फेटिक उर्वरकों के दाम में आई तेजी के बाद से ही नकली खाद का धंधा भी बढ़ा है। पिछले वर्ष भी प्रदेश में कुछ जगहों पर ऐसे धंधे पकड़ में आए थे। धंधे में शामिल लोग या तो नकली खाद बेचकर किसानों की मेहनत-मजदूरी पर पानी फेरते हैं। या ब्रांडेड कंपनी के डीएपी के बोरों में अपेक्षाकृत सस्ती एनपीके (नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश) मिश्रण वाली खाद की पैकिंग कर उसे डीएपी के रेट पर बेच देते हैं। इसमें भी उनको प्रति बोरी करीब 300 रुपये का फायदा हो जाता है।
खाद असली या नकली
पहचान सकते हैं आप
यूरिया- सफेद चमकदार, एक समान गोल दाने। पानी में पूरी तरह घुलनशील। ऐसा पानी छूने पर अपेक्षाकृत ठंडा लगेगा। गर्म तवे पर रखने पर असली यूरिया पिघल जाती है। कुछ देर बाद कुछ भी नहीं बचता।
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डीएपी-
सख्त, दानेदार। भूरा, काला और बादामी रंग। कुछ दानों को हथेली पर रख उसे चूने के साथ रगड़ने पर तीखी गंध निकलती है। तवे को धीमी आंच पर रखें। इस पर डीएपी के दाने रखने पर फूल जाते हैं।
फुटकर दुकानदारों
को भी है शिकायत
गोरखपुर : प्रशासन के निर्देश पर ताबड़तोड़ छापेमारी को छोड़ दें तो रूटीन के छापों से कई दुकानदारों को शिकायत है। इनका कहना है कि छापे मारने वाले अमूमन वसूली के लिए ऐसा करते हैं। लाइसेंस के निलंबन में भी यही खेल है। बहाल करने के शुल्क की तुलना में एक तय रकम ली जाती है। समय और संसाधन बचाने के लिए तय रकम देना छोटे दुकानदारों की मजबूरी है। मामला प्रशासन के संज्ञान में हैं और कृषि विभाग के अधिकारियों को इस बाबत आगाह भी कर दिया गया है।