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आयोग तक जुड़े हैं जालसाजों के तार

गोरखपुर : कागज के एक टुकड़े पर कोड में लिखे उत्तर से नकल करते तीन अभ्यर्थियों के पकड़े जाने के बाद कर्

By Edited By: Published: Mon, 17 Nov 2014 01:18 AM (IST)Updated: Mon, 17 Nov 2014 01:18 AM (IST)
आयोग तक जुड़े हैं जालसाजों के तार

गोरखपुर : कागज के एक टुकड़े पर कोड में लिखे उत्तर से नकल करते तीन अभ्यर्थियों के पकड़े जाने के बाद कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षओं की सुचिता सवालों के घेरे में आ गई है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में परीक्षा केंद्र होने के बावजदू वहां के कुछ अभ्यर्थियों को गोरखपुर भेजा जाना अनायास नहीं है। चुनिंदा अभ्यर्थियों को परीक्षा के लिए खास तौर से गोरखपुर भेजे जाने के पीछे कहीं न कहीं आयोग के कर्मचारियों की बड़ी भूमिका है। माना जा रहा है कि इन कर्मचारियों के तार जालसाजों से गहरे जुड़े हैं। गोरखपुर में एसटीएफ ने भी इस मामले की छानबीन शुरू कर दी है।

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जिन तीन अभ्यर्थियों को नकल करते पकड़ा गया है, वे सभी बागपत जिले के हैं। भागने में सफल रहे अभ्यर्थी का ताल्लुकात हरियाणा से है। बागपत ही नहीं आसपास के अन्य जिलों के अभ्यर्थियों लिए मेरठ को परीक्षा केंद्र बनाया गया था जबकि हरियाणा और आसपास के प्रांत से जुड़े अभ्यर्थियों के लिए दिल्ली के विभिन्न विद्यालय। परीक्षा केंद्र का निर्धारण करने में अभ्यर्थी की सुविधा का विशेष ध्यान रखा जाता है। इसके बावजूद पकड़े गए तीन परीक्षार्थियों के साथ ही इस जिले के कुछ अन्य अभ्यर्थियों के लिए परीक्षा केंद्र गोरखपुर में बना। ऐसा परीक्षा निर्धारण के काम से जुड़े आयोग के कर्मचारियों की साजिश के बगैर संभव नहीं है। जाहिर है कि पश्चिम के कुछ अभ्यर्थियों को गोरखपुर भेजे जाने के पीछे कोई न कोई बड़ा खेल है।

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आयोग की भी थी इस पर नजर : पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों के अभ्यर्थियों को परीक्षा के लिए गोरखपुर भेजा जाना आयोग के जिम्मेदार अधिकारियों को भी खटक गया था। इसकी एक वजह यह भी थी कि इन सभी अभ्यर्थियों का एक ही परीक्षा केंद्र जनता इंटर कालेज, चरगावां का होना। इसीलिए आयोग ने इस परीक्षा केंद्र पर खास नजर रखने का निर्देश दिया था। इसके लिए परीक्षा केंद्र पर जैमर व कमरों में सीसी टीवी कैमरा लगवाने, पूरी परीक्षा की वीडियोग्राफी कराने और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अभ्यर्थियों पर खास तौर से नजर रखने का निर्देश दिया था।

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कोड में उपलब्ध कराए गए थे उत्तर : नकल करने वाले अभ्यर्थियों को सवालों का जवाब कोड में उपलब्ध कराया गया था। इस परीक्षा में बहुविकल्पीय सवाल होते हैं। हर सवाल का ए, बी, सी, डी के क्रम में चार विकल्प दिए होते हैं। नकल करने वालों को कागज के एक छोटे से टुकड़े ए, बी, सी, डी के लिए कोड में क्रमश: 1, 2, 3 तथा 4 अंक देकर उत्तर उपलब्ध कराया गया था। प्रश्न पत्र के एक पेज पर दो भागों में दस सवाल होते हैं। एक क्रम में लिखे पांच अंकों में प्रश्न संख्या एक से पांच तक के उत्तर थे। मसलन पहले प्रश्न का उत्तर डी, दूसरे का ए, तीसरे का सी, चौथे बी और पांचवे का ए है तो कोड में इसका उत्तर एक क्रम में 41321 के रूप में लिखा गया था। इसी तरह उस पेज पर दूसरे पांच सवालों के जवाब दिए गए थे।

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शर्ट की आस्तीन पर लिखकर लाया था उत्तर : नकल करते पकड़ा गए विवेक ने अपने शर्ट की आस्तीन के अंदर उत्तर लिख कर लाया था। आस्तीन मोड़कर वह नकल कर रहा था। इसी दौरान कक्ष निरीक्षक और अन्य लोगों की उस पर नजर पड़ गई। उसकी शर्ट को पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया है।

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एक अभ्यर्थी से दो लाख में हुआ था सौदा : सही उत्तर उपलब्ध कराने के लिए एक-एक अभ्यर्थी से दो-दो लाख रुपये में सौदा हुआ था। बागपत में एक कोचिंग सेंटर से परीक्षा में आने वाले सवालों के उत्तर खरीदे गए थे। आरोपियों से शुरुआती पूछताछ के आधार पर पुलिस सूत्रों ने बताया कि रैकेट से जुड़े लोगों ने सौदा करने के दौरान ही यह बता दिया था कि उनका परीक्षा केंद्र उनके आसपास के परीक्षा केंद्र में नहीं बल्कि दूर-दराज के दूसरे जिले में रहेगा।

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और भी कई अभ्यर्थी थे परीक्षा में शामिल : नकल कराने वाले रैकेट से जुड़े और भी अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल थे। जनता इंटर कालेज में कुल 288 अभ्यर्थियों की परीक्षा थी लेकिन सुबह की पाली में इसमें से सिर्फ 131 परीक्षार्थी ही शामिल हुए। इसी पाली में चार नकलचियों को पकड़ लिया गया। इसके बाद दूसरी पाली की परीक्षा में सिर्फ 108 परीक्षार्थी ही शामिल हुए। उल्लेखनीय बात यह है कि इस केंद्र पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अभ्यर्थियों की संख्या 90 के आसपास थी। दोनों पाली में परीक्षा छोड़ने वाले अभ्यर्थी इन्हीं में से थे। माना जा रहा है कि जिन्होंने परीक्षा छोड़ी है वे इसी रैकेट से जुड़े थे।

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ऐसे पकड़ में आया मामला : परीक्षा के लिए सेक्टर मजिस्ट्रेट बनाए गए राजेश कुमार विद्यालय के शिक्षक सदानंद चौबे, आयोग से आए विवेक सिंह, पर्यवेक्षण निरीक्षक अरविंद मिश्र सचल दल की तरह हर कक्षा में जाकर परीक्षार्थियों पर नजर रख रहे थे। इस दौरान उनकी नजर कुछ परीक्षार्थियों के प्रश्न पत्र के किसी हिस्से में पांच अंकों में लिखे कुछ असामान्य अंकों पर पड़ी। पहले तो उनकी समझ में कुछ नहीं आया लेकिन बाद में संदेह होने पर कक्ष संख्या तीन में परीक्षा दे रहे मुरारी नाम के अभ्यर्थी की उन्होंने तलाशी ली तो उसके पास से एक कागज का एक टुकड़ा मिला। उस पर अलग-अलग क्रम में अंक लिखे हुए थे। सबसे ऊपर उसकी उत्तर पुस्तिका का क्रम लिखा था। बाद में पता चला कि इन अंकों में परीक्षा में पूछे गए सवालों का उत्तर छिपा है। कक्ष निरीक्षक ने मुरारी से जब पूछताछ की कोशिश की तो वह उनके हाथ में दांत से काटकर भाग निकला। उसका प्रश्न पत्र, उत्तर पुस्तिका और उसके पास से मिला कागज का टुकड़ा कक्ष निरीक्षक के पास ही रह गया। बाद में अलग-अलग कक्षों से प्रश्न पत्र पर इस तरह का अंक लिखने वाले तीन अभ्यर्थियों को पकड़ा गया। भागने में सफल रहे मुरारी तथा पकड़े गए तीनों अभ्यर्थियों के खिलाफ परीक्षा अधिनियम व धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ है।


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