या हुसैन की सदाओं के बीच निकला मातमी जुलूस
जागरण संवाददाता, गोरखपुर : पांचवीं मोहर्रम पर गुरुवार को हल्लौर एसोसिएशन का जंजीरी मातमी जुलूस अकीदत
जागरण संवाददाता, गोरखपुर : पांचवीं मोहर्रम पर गुरुवार को हल्लौर एसोसिएशन का जंजीरी मातमी जुलूस अकीदत के साथ निकाला गया। बड़ी संख्या में अकीदतमंदों ने शामिल होकर जंजीर व कमा से मातम किया।
जुलूस मरहूम इकबाल हुसैन के खूनीपुर आवास से रात 9 बजे या हुसैन- या हुसैन कहते हुए व नफीस हल्लौरी के इस नौहे 'रसूल हम तेरे प्यारों का गम मनाते हैं' पर सदाएं देता निकला। इसके पूर्व शिया समुदाय की औरतों द्वारा मजलिस व मातम किया गया। जुलूस खूनीपुर की ओर बढ़ा तो हल्लौर से आए नौहाखा नबील हल्लौरी के इस नौहे 'परचम गाजी का परचम दुनिया में लहराए' पर अकीदतमंद मातम करने लगे। अब्बास मेहदी अलीगढ़ ने मर्सिया पढ़ी। अंजुमन हैदरी हल्लौर के मातमी दस्तों ने खूनीपुर में जंजीरों व कमा से मातम किया। उनका शरीर लहूलुहान हो गया था, यह देखकर लोगों की आंखें नम थीं। जुलूस रेती होते हुए इमामबाड़ा आगा साहेबान गीताप्रेस रोड पहुंचकर समाप्त हुआ।
जुलूस में हल्लौर से आए हसन जमाल, हानी हल्लौरी, मीसम, जहीन हैदर, राजू, जफर, शुजा अब्बास, जमानत अब्बास, जुहेब, रेहान, शानू ओपनर, मो. राशिद, अरमान, नफीस हैदर, इं. कैसर अब्बास, शबाहत हुसैन रिजवी व मनव्वर अब्बास रिजवी सहित अनेक अकीदतमंद शामिल थे।
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पहला व अंतिम महीना कुर्बानी का
गोरखपुर : जुलूस अंजुमन इस्लामिया पहुंचने पर परियोजना निदेशक लखनऊ डा. फरीद हैदर ने कहा कि हिजरी कैलेंडर का पहला महीना मोहर्रम व अंतिम महीना बकरीद दोनों कुर्बानी का है। मोहर्रम के महीने में पैगंबर मुहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन ने अपनी व परिवार की कुर्बानी देकर इस्लाम को नई रोशनी दी। उनके बलिदान का अनुकरण करने के लिए किसी विशेष धर्म या देश का होना अनिवार्य नहीं है। यह बलिदान आतंकवाद व अत्याचार से लड़ने का रास्ता दिखाता है।