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..ताकि गर्भावस्था में न हो खतरा

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : गर्भावस्था के दौरान जटिलताओं के चलते प्रदेश में हर साल सोलह हजार से अध

By Edited By: Published: Thu, 30 Oct 2014 06:06 PM (IST)Updated: Thu, 30 Oct 2014 06:06 PM (IST)
..ताकि गर्भावस्था में न हो खतरा

जागरण संवाददाता, गोरखपुर :

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गर्भावस्था के दौरान जटिलताओं के चलते प्रदेश में हर साल सोलह हजार से अधिक प्रसूताओं की मौत को देखते हुए शासन गंभीर है। अब उच्च खतरे वाले गर्भावस्था के मामलों पर खास नजर रखी जाएगी। ऐसी महिलाओं को चिंहित कर नियमित जांच व इलाज किया जाएगा। जरूरत पड़ने पर उनका इलाज उच्च स्तरीय चिकित्सा संस्थानों में कराया जाएगा।

इसके लिए खास योजना तैयार की जा रही है। इस काम के लिए हर जिले में अपर मुख्य चिकित्साधिकारी एनएचएम को नोडल अधिकारी बनाया जाएगा। इस संबंध में शासन की तरफ से जिलाधिकारियों व मुख्य चिकित्साधिकारियों को दिए गए निर्देश में कहा गया है कि सभी स्वास्थ्य इकाइयों के प्रभारियों को उच्च खतरे वाली गर्भावस्था का चिन्हीकरण, उपचार व फालोअप संबंधी विस्तृत जानकारी दी जाए एवं रणनीति विकसित की जाए। इसके लिए हर जिला मुख्यालय पर सभी ब्लाक प्रभारियों एवं चिकित्सा अधीक्षकों की बैठक कर उच्च खतरे वाली गर्भावस्था का चिन्हीकरण, उपचार पर चर्चा की जाए। यही काम विकास खंड स्तर पर भी किया जाए। सभी स्वास्थ्य कर्मियों को निर्देश दिया जाए कि किसी भी उच्च खतरे की स्थिति आने पर गर्भवती महिलाओं की कम से कम चार प्रसव पूर्व जांच आवश्यक व नियमित रूप से की जाए। प्रसव पूर्व जांच के दौरान महिला के हीमोग्लोबिन, रक्तचाप, वजन, मूत्र में शर्करा, एल्ब्यूमिन व पेट की जांच की जाए।

तत्काल मिलेगा इलाज

जांच के दौरान यदि गर्भवती महिला में किसी भी लक्षण का पता चलता है तो उसको उच्च खतरे वाली गर्भवती महिला के रूप में चिन्हित कर उसे चिकित्सा संस्थान से एंबुलेंस द्वारा उच्च चिकित्सा संस्थान पर उपचार एवं प्रबंधन के लिए संदर्भित किया जाए। ऐसी महिला के चिकित्सा कार्ड के प्रथम पृष्ठ के ऊपर बायें तरफ लाल रंग से एनआरपी अंकित किया जाए, जिससे महिला की जांच व उपचार प्राथमिकता के आधार पर की जा सके। जिले के किसी भी चिकित्सा संस्थान पर उच्च खतरे वाली गर्भवती महिला को इलाज के लिए लगी हुई कतार में खड़ा न किया जाए बल्कि उसे विशेष महत्व देते हुए तुरंत जांच व उपचार की सुविधा उपलब्ध कराई जाए। संभव हो तो एक पृथक हाई रिस्क क्लीनिक भी बनाई जा सकती है।

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पूर्व की गर्भावस्था से संबंधित उच्च खतरे

- पूर्व में मृत शिशु का जन्म

- पूर्व में नवजात शिशु की मौत

- पूर्व में बार-बार गर्भपात

- नवजात शिशु का रक्त ग्रुप, आरएच संबंधी विकार

-पूर्व में कम वजन का शिशु अर्थात ढाई किग्रा से कम का शिशु पैदा होना

- गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप या झटके

- पूर्व में सिजेरियन होना

- पूर्व में भ्रूण की जन्मजात विकृति का इतिहास

वर्तमान गर्भावस्था में उच्च खतरे

- वर्तमान में भ्रूण की असामान्य स्थिति

- प्लेसेंटा में विकृति की असामान्य स्थिति

- उच्च रक्तचाप, मूत्र में एल्ब्यूमिन, सूजन

- मधुमेह, गुर्दा रोग

- गंभीर एनीमिया

- अत्यधिक तंबाकू का सेवन

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उच्च खतरे वाली गर्भावस्था से होने वाली मौतों की वजह

- रक्तस्राव

- संक्रमण, असुरक्षित गर्भपात

- गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप

- गंभीर एनीमिया

- अटका हुआ प्रसव

- अन्य बीमारियां जो गर्भावस्था के दौरान अनियंत्रित हो जाएं जैसे मधुमेह, दिल की बीमारी, टीबी, मलेरिया आदि।


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