अभिलेखों के अभाव में ठहरा सोशल आडिट
जागरण संवाददाता, गोरखपुर : शासन ने मनरेगा के कार्यो का सोशल आडिट के लिए कड़े निर्देश दे रखे हैं। मनरे
जागरण संवाददाता, गोरखपुर : शासन ने मनरेगा के कार्यो का सोशल आडिट के लिए कड़े निर्देश दे रखे हैं। मनरेगा कार्यो और व्यवस्था की पारदर्शिता बनाना सोशल आडिट का उद्देश्य है। यह देखना है कि मनरेगा मजदूरों को कार्य करने में कहीं कठिनाई तो नहीं हो रही है। बावजूद इसके कई विभाग आडिट के लिए जरूरी अभिलेख ही नहीं उपलब्ध करा रहे हैं। मुख्य विकास अधिकारी ने इन विभागों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
ग्राम पंचायत से लेकर ब्लाक स्तर तक सोशल आडिट टीम गठित है। आडिट टीम के समक्ष समस्या यह है कि सिंचाई, लोक निर्माण विभाग व जिला पंचायत ने तीन माह बीतने के बाद भी अभिलेख ही नहीं दिए।
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यह है आडिट टीम का प्रारूप
ग्राम पंचायत आडिट टीम में सामान्य, अन्य पिछड़ा वर्ग व अनुसूचित जाति के एक-एक सदस्य होते हैं। इसके अलावा एक महिला व एक जाब कार्ड धारक श्रमिक भी सदस्य होता है। इसमें रोजगार सेवक और सोशल कोआर्डिनेटर को भी शामिल किया गया है। श्रमिक के लिए शर्त यह है कि उसने साल भर में कम से कम 15 दिन कार्य किया हो। श्रमिक को छोड़कर बाकी सदस्यों की शैक्षिक अर्हता हाई स्कूल निर्धारित है। ब्लाक स्तरीय समिति में जिलाधिकारी द्वारा नामित जिला स्तरीय अधिकारी अध्यक्ष, ब्लाक के किसी कालेज के प्रधानाचार्य सदस्य व खंड विकास अधिकारी सदस्य सचिव को रखा गया। चालू वित्तीय वर्ष के पहले चरण में उन ग्राम पंचायतों का जिला स्तरीय आडिट होना है जिनको दस लाख से अधिक की धनराशि जारी हुई है।