विद्रोही चेतना के कवि थे श्रीकांत वर्मा : प्रो. विश्वनाथ
जागरण संवाददाता, गोरखपुर : साहित्य अकादमी के अध्यक्ष प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा कि श्रीकांत वर्मा नई कविता के एक महत्वपूर्ण कवि थे। जिनकी आरंभिक कविताओं में शिल्प एवं भाव दोनों स्तरों पर एक विद्रोही चेतना मिलती है। उनकी बाद की कविताओं में जैसा कि 'मगध' संग्रह की कविताओं में राजनीति के दुष्चक्र और आतंरिक दांवपेंच का चित्रण हुआ है।
प्रो. तिवारी गुरुवार को प्रेसक्लब के सभागार में साहित्यिक संस्था 'गतिविधि' की ओर से कवि श्रीकांत वर्मा की 84 वीं जयंती एवं डा.अरविंद त्रिपाठी द्वारा संपादित भगवत रावत व आचार्य विश्वनाथ प्रसाद तिवारी के 'प्रतिनिधि कविताएं' लोकार्पण अवसर पर सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने 'जगह' शीर्षक कविता का पाठ किया।
गोरखपुर विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. केसी लाल ने कहा श्रीकांत वर्मा की कविताओं में विद्रोही भाव दिखता है। आयोजक एवं गतिविधि संस्था के अध्यक्ष प्रो. अनंत मिश्र ने प्रो. विश्वनाथ तिवारी के कविकर्म के बारे में कहा कि श्रेष्ठ कविता की पहचान इस बात से की जानी चाहिए कि कवि ने मार्मिक प्रसंगों को किस प्रकार रचा। इलाहाबाद से आए साहित्यकार श्रीप्रकाश मिश्र एवं पत्रकार प्रभात सिंह ने भी सभा को संबोधित किया। काव्यसंग्रहों के संपादक व आकाशवाणी के डा. अरविंद त्रिपाठी कवियों व कविताओं पर विचार व्यक्त किया।
इसके पूर्व गतिविधि के अध्यक्ष प्रो. अनंत मिश्र ने परिचय कराया। स्वागत प्रेसक्लब अध्यक्ष अशोक चौधरी ने किया। तत्पश्चात नूतन मिश्रा ने श्रीकांत की चुनी हुई कविताओं का पाठ किया। कवि अष्टभुजा शुक्ल, द्विवेंद्र नारायण व रंगकर्मी डा. मुमताज खान ने कविता पाठ किया।