संभल कर चलें कहीं जख्मी न हो जाएं
जागरण संवाददाता, गोरखपुर : नगर निगम ने अपनी सड़कों को लावारिस छोड़ दिया है। संभल कर चलें नहीं तो जख्मी हो जाएंगे। निर्माण विभाग के गैर जिम्मेदाराना रवैए के कारण शहरवासियों का सड़कों पर चलना मुश्किल हो गया है। नगर के भीतरी हिस्से की प्रमुख सड़कों पर तो कदम-कदम पर गढ्डे बन गए हैं। आते-जाते लोग गिरकर घायल हो रहे हैं। रात के अंधकार में यह गढ्डे और भी खतरनाक साबित हो रहे हैं। निगम का निर्माण विभाग सड़कों पर पैच तक नहीं करा पा रहा है।
बेतियाहाता हनुमान मंदिर के बगल में महापौर डा. सत्या पांडेय के आवास के सामने गुजरा प्रेम चंद पार्क मार्ग हो या घोष कंपनी से नखास तक जाने वाला मार्ग। पूरी तरह गढ्डे में तब्दील है। कैंट चौराहे से काली मंदिर होते हुए हरिहर प्रसाद दुबे मार्ग पर भी आधा दर्जन से अधिक गढ्डे हैं। गोलघर के चेतना तिराहे पर भी गढ्डा नगर निगम अधिकारियों की कार्यप्रणाली की पोल खोल रहा है। असुरन चौक से विष्णु मंदिर के बीच सड़क का गढ्डा जानलेवा बना हुआ है। धर्मशाला से जटाशंकर मार्ग भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त है। अलहदादपुर से रायगंज होते हुए घंटाघर जाने वाले मार्ग की भी यही हालत है। शहर की सभी सड़कों की यही हालत है।
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शीघ्र पूरा हो जाएगा पैच वर्क: एसके केशरी
प्रभारी मुख्य अभियंता एसके केशरी ने इस संबंध में कहा कि पैच का कार्य शुरू हो चुका है, इसे शीघ्र पूरा करा लिया जाएगा।
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ब्रजेश कुमार कहते हैं कि पहले किसी भी पर्व से पहले सड़कों को गढ्डामुक्त किया जाता था, लेकिन अब तो नगर निगम को कोई मतलब नहीं रहता।
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अभय कुमार कहते हैं कि सड़कों पर गढ्डों से लेकर छुट्टा पशुओं की भरमार है। लोगों का चलना मुश्किल है। अधिकारियों को नींद से जागना चाहिए।
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परवेज आलम कहते हैं कि नगर निगम अधिकारी दो पहिया वाहन या पैदल चलकर सड़कों की स्थिति देखें तो लोगों की दुर्दशा का भान होगा।
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आनंद कहते हैं कि गढ्डों से बचने के चक्कर में लोग दूसरे वाहन से भिड़ जा रहे हैं। सड़कों को जनहित में गढ्डामुक्त किया जाना बहुत जरूरी है।