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श्रद्धा के दीयों से जल रहा सरोवर का दिल

By Edited By: Published: Fri, 22 Aug 2014 01:34 AM (IST)Updated: Fri, 22 Aug 2014 01:34 AM (IST)
श्रद्धा के दीयों से जल रहा सरोवर का दिल

गोरखपुर : कहावत है कि 'अति का भला न बोलना, अति की भली न चुप। अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।।' यह चरितार्थ हो रहा है महानगर के ऐतिहासिक सरोवर सूरजकुंड के साथ। कभी अविरल और निर्मल जल स्रोत रहे इस सरोवर का दिल श्रद्धा के दीयों से जल रहा है।

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हर साल दीपावली के बाद होने वाले दीपोत्सव व धार्मिक कर्मकांडों के कारण सरोवर में कार्बनिक तत्वों की अधिकता बढ़ती जा रही है जिसके कारण सरोवर की जलीय गुणवत्ता में निरंतर गिरावट आई है। तेल व खाद्य पदार्थ ने पूरे सरोवर के इको सिस्टम को तहस-नहस कर दिया है। दीपोत्सव के कारण सरोवर में तेल गिरना तथा छठ पर मछलियों को खाने के लिए वसायुक्त पकवान डाला जाना ही मछलियों के लिए अभिशाप बनता जा रहा है। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनियरिंग के पर्यावरणीय अभियंत्रण के परास्नातक छात्र सुशील कुमार गुप्ता द्वारा सूरजकुंड सरोवर पर किए शोध में चौकाने वाले परिणाम सामने आए हैं। एसोसिएट प्रोफेसर व पर्यावरणविद डा.गोविंद पांडेय के दिशा-निर्देशन में हुए शोध में फास्फेट व नाइट्रेट की अधिकता के कारण सरोवर यूट्राफिक स्थिति में पहुंच गया है। एल्गल बूम के कारण सरोवर के पानी का रंग हल्का हरा हो चला है जो सरोवर के पानी के लगातार प्रदूषित होने का सबूत है। बीओडी (प्रदूषण मापने का स्तर) भी निर्धारित मानक से अधिक है जिसके कारण सरोवर का पानी ई श्रेणी में आ गया है। सीओडी की अधिकता व कार्बनिक तत्वों के प्रदूषण के कारण सरोवर का जल स्नान लायक भी नहीं रहा।

क्या हो जरूरी उपाय

-हर साल स्वच्छ जल की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाए

- धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल लोगों को गंदगी करने से रोकने के लिए जागरूक किया जाए

-सफाई के दौरान इकट्ठे पदार्थो को सरोवर में डालने से रोका जाए

- जल की गुणवत्ता का निरंतर परीक्षण की व्यवस्था हो

जन जागरुकता की जरूरत : डा. गोविंद पांडेय

पर्यावरणविद व मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर गोविंद पांडेय कहते हैं कि अगर सरोवर की ऐतिहासिकता को बचाए रखना है तो सरोवर को सांस्कृतिक प्रदूषण से बचाना होगा। इसके लिए लोगों को जागरूक करना होगा। सरोवर के आस-पास होने वाले धार्मिक अनुष्ठानों के बाद बची सामग्रियों को सरोवर में जाने से रोकना होगा। दीपदान के बाद दीयों व उससे निकले तैलीय पदार्थो को सरोवर में जाने से रोकने के लिए पहल करनी होगी।


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