बाहर रेफर होते हैं दस हजार से अधिक मरीज
जागरण संवाददाता, गोरखपुर :
पूर्वाचल में जनसंख्या का अधिक घनत्व, गरीबी के साथ चिकित्सकीय संसाधनों की कमी यहां के लोगों के लिए अभिशाप बनी हुई है। जिला स्तरीय अस्पतालों को छोड़िए, यहां के सबसे बडे़ चिकित्सा केंद्र गोरखपुर मेडिकल कालेज की बात करें तो यहां भी सुपर स्पेशलिटी सेवाओं का अभाव है। नतीजा ज्यादातर बीमारियों में मरीजों का इलाज तभी तक होता है जब तक रोग काबू में रहता है। सुविधाओं के अभाव में यहां से हर साल तकरीबन दस हजार गंभीर मरीजों को बाहर के शहरों में इलाज के लिए रेफर करना पड़ता है।
बीमारी बिगड़ने या दुर्घटना में गंभीर रूप से घायलों को यहां से सीधे दूसरे शहरों के बड़े अस्पतालों में भेज दिया जाता है। मेडिकल कालेज में यहां भर्ती किए गए मरीजों के आंकड़े से बात साफ हो जाती है। हर साल मेडिकल कालेज में करीब 43- 45 हजार मरीज भर्ती किए जाते हैं जिनमें से लगभग छह हजार लखनऊ व दिल्ली जैसे शहरों को रेफर कर दिए गए। मेडिकल कालेज के साथ निजी चिकित्सकों व अस्पतालों के आंकड़े जोड़े जाएं तो यह दस हजार से भी अधिक है। इसमें ज्यादातर हृदय, किडनी, लिवर, गंभीर संक्रमण, कैंसर के मरीजों के साथ ही दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होते हैं।
बीमारियों का गढ़ है पूर्वाचल
वरिष्ठ फिजीशियन व इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डा. आरपी त्रिपाठी का कहना है कि एम्स चिकित्सा का सबसे बड़ा केंद्र है। इसकी जरूरत सबसे अधिक वहीं होती है जहां बीमारियां अधिक हों व स्वास्थ्य सुविधा कम हो। पूर्वाचल में वायरल बीमारियों, जीवाणु जनित रोगों का कहर तो रहता ही है। साथ ही यहां कैंसर, लीवर, किडनी व हृदय संबंधी बीमारियां भी लोगों को तेजी से अपनी गिरफ्त में लेती जा रही हैं। गोरखपुर मेडिकल कालेज में संसाधनों की कमी से यहां से मरीजों को बाहर रेफर करना पड़ता है, जिससे सर्वाधिक मुसीबत गरीबों को झेलनी पड़ती है। यहां एम्स खुलने के बाद सुपर स्पेशलिटी की पढ़ाई भी होगी। हो सकता है कि यहां से पढ़ाई पूरी करने के बाद सुपर स्पेशलिस्ट चिकित्सक गोरखपुर व आसपास के क्षेत्रों में कार्य करें। इससे मरीजों को इलाज की सुविधा तो मिलेगी, अस्पताल आदि खुलने से रोजगार का सृजन होगा।
गोरखपुर में ही बने एम्स
गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से विधायक विजय बहादुर यादव का कहना है कि एम्स बनाने की सर्वाधिक जरूरत गोरखपुर में है। यह इलाका बीमारियों का गढ़ है। खासतौर पर भूजल का स्तर ऊपर होने के कारण दूषित जल के जलते यहां बड़ी संख्या में लोग पेट की बीमारियों से पीड़ित होते हैं। इंसेफेलाइटिस लंबे समय से इस क्षेत्र के लिए अभिशाप बनी हुई है। इसके अलावा सुपर स्पेशलिटी सेवाएं नहीं होने से यहां अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों को दूसरे शहरों में जाना पड़ता है। गोरखपुर मेडिकल कालेज में पूर्वाचल के साथ ही बिहार व नेपाल से भी भारी संख्या में मरीज आते हैं पर संसाधनों की कमी से उनको बाहर रेफर करना पड़ता है। ऐसे में गोरखपुर में एम्स की सर्वाधिक जरूरत है।
इलाज की उच्चस्तरीय व्यवस्था जरूरी
होम्योपैथ चिकित्सक डा. रूप कुमार बनर्जी के मुताबिक यहां एम्स की सर्वाधित जरूरत इसलिए हैं क्यों कि पूर्वाचल के साथ ही नेपाल व बिहार आदि क्षेत्रों से भारी संख्या में मरीज इलाज के लिए गोरखपुर पहुंचते हैं, लेकिन चिकित्सकीय संसाधनों की कमी से उनको दूसरे शहरों में रेफर करना पड़ता है। एम्स बनने से गरीबों से जूझ रहे इस क्षेत्र के लोगों को उच्च स्तरीय चिकित्सा यहीं पर उपलब्ध हो सकेगी। इंसेफेलाइटिस पीड़ितों को बेहतर इलाज की सुविधा मिलेगी।