दाम भी कमाल और काम बेमिसाल
जागरण संवाददाता, गोरखपुर : रामगढ़ ताल से सिल्ट निकालने की औपचारिक शुरुआत हो गई है। कार्यदायी संस्था जल निगम की देखरेख में हैदराबाद की कंपनी ओसीन स्पार्कल लिमिटेड ने ताल से ड्रेजिंग कर सिल्ट निकालना शुरू कर दिया है। ताल से सिल्ट की सफाई के लिए जो मशीन मंगाई गई है उसका दाम भी कमाल का है और काम भी कमाल का। एक घंटे में मशीन दो सौ लीटर तेल हजम कर जाती है। लेकिन इतना तेल पीने के बाद 600 क्यूबिक मीटर मिट्टी की खुदाई भी करती है। अब जरा इसकी कीमत पर गौर करिए। यह मशीन एक दो नहीं पूरे चालीस करोड़ रुपये की है। ट्रायल के तौर पर मशीन को पौन घंटा चलाकर ताल से सिल्ट की सफाई की गई। हालांकि ताल में काफी सिल्ट भरी है। सफाई में काफी समय लगेगा। कंपनी के मुताबिक अगर लगातार काम चलता रहा तो डेढ़ साल में सिल्ट निकालने का काम पूरा हो पाएगा। अनूप सिंह व लालू सिंह ने बताया कि अगले सप्ताह से सिल्ट निकालने के कार्य में तेजी आएगी। ताल के सूखे स्थान जैसे सहारा स्टेट, आरकेबीके के पीछे व पैड़लेगंज की ओर बंधे का निर्माण होना है। बंधा निर्माण के बाद इन क्षेत्रों में ड्रेजिंग का कार्य शुरू होगा।
सर्वे पूरा होते ही आएगी काम में तेजी : राजेश मिश्र
ड्रेजिंग आपरेशन के मैनेजर राजेश मिश्र ने बताया कि उनके साथ 50 सदस्यीय दल आया हुआ है जो ताल से सिल्ट निकालने के अभियान में विभिन्न स्तर पर सहयोग कर रहा है। सर्वे का काम चल रहा है। जून तक सर्वे का काम हो जाना था लेकिन ताल में पानी कम होने के कारण जून में कार्य पूरा नहीं हो पाया था। ताल में सिल्ट तीन मीटर तक जमा है। इसे निकालने में काफी मशक्कत करनी पड़ेगी।
परियोजना एक नजर में
केंद्रीय पर्यावरण व वन मंत्रालय नेशनल लेक कंजर्वेशन प्लान (एनएलसीपी) के तहत वर्ष 2010 में 124.32 करोड़ रुपये मंजूर किए गए थे। ताल को प्रदूषणमुक्त कर सौंदर्यीकरण का कार्य पूरा करने के लिए तीन साल की समय सीमा निर्धारित थी। लेकिन कार्यदायी संस्था जल निगम की सुस्ती ने कार्य की लागत बढ़ा दी जिसके कारण परियोजना की लागत बढ़कर 196.67 करोड़ रुपये हो गया। इसमें केंद्र व प्रदेश का हिस्सा क्रमश: 70 और 30 फीसदी का है। अभी भी झील के किनारों पर बांध बनाने का काम अधूरा पड़ा है। इसके झील के पूरब नये बंधे का निर्माण किया जाना है।