बसों में चोरी करने वाले गैंग का पर्दाफाश,13 गिरफ्तार
जागरण संवाददाता, गोरखपुर :
रोडवेज बसों में यात्रियों का बैग व अटैची फाड़कर चोरी करने वाले गैंग का पुलिस ने पर्दाफाश का दावा किया है। इस गिरोह के तेरह सदस्यों को वाटर पार्क के पास से बुधवार को गिरफ्तार किया गया। इसमें गोरखपुर परिवहन निगम का एक चालक भी शामिल है। उनके पास से 315 बोर का दो तमंचा व कारतूस, 800 ग्राम चरस, पांच चाकू, चांदी के सिक्के व दो आला नकब बरामद किया गया है। पूछताछ में उन्होंने बसों के अलावा दो दुकानों में भी चोरी की बात कबूली है।
पुलिस अधीक्षक नगर परेश पांडेय व सहायक पुलिस अधीक्षक अजय कुमार ने बताया कि गिरफ्तारों में दो गोरखपुर के हैं और अन्य फिरोजाबाद के निवासी हैं। वे लंबी दूरी की बसों में गोरखपुर से टिकट लेकर सवार होते थे। रास्ते में उनकी नजर सीट के नीचे रखे यात्रियों के बैग व अटैची पर होती थी। खासकर उन यात्रियों के सामानों पर जो परिवार के साथ यात्रा कर रहे होते थे। मौका देखकर वे अटैची व बैग फाड़कर उसमें रखे गहने, नकदी व अन्य सामान निकाल लेते थे। बाद में कहीं भी बस रुकवा कर उतर जाते थे।
अधिकारियों का दावा है कि गैंग में शामिल हुमायूंपुर उत्तरी, गोरखनाथ निवासी रोडवेज बस चालक रामसूरत बदमाशों को मालदार यात्रियों की जानकारी देता था। यदि कभी संदेह हुआ तो वह बदमाशों को भाग निकलने में भी मदद करता था। इसके बदले में गिरोह उसे प्रतिदिन एक हजार रुपया देता था। गिरफ्तार चालक के अलावा अन्य बदमाश हुमायूंपुर उत्तरी, गोरखनाथ के दिग्विजयनगर कालोनी में जलालुद्दीन अंसारी के घर में रहते थे। मूल रूप से बेतिया, बिहार के लौरिया थाना अंतर्गत बेलपुर निवासी जलालुद्दीन को शरण देने के बदले चोरी के सामान में बराबर का हिस्सा मिलता था। गिरफ्तार आरोपियों में जीतेंद्र सिंह पहले भी इस आरोप में जेल जा चुका है।
इनकी हुई गिरफ्तारी
जलालुद्दीन अंसारी व रामसूरत निवासी हुमायूंपुर उत्तरी, गोरखनाथ, गोरखपुर के अलावा फिरोजाबाद के रहने वाले सुरेंद्र कुमार सविता उर्फ सौरभ, कुलदीप, अन्नू पंडित, रामजी लाल बहेलिया, मंगल सिंह, अमर सिंह, सोनू, बब्लू, केदारी लाल, जीतेंद्र सिंह शामिल हैं।
पहले गिरफ्तार कराया, फिर गैंग में हो गया शामिल
बसों में चोरी करने वाले गिरोह के साथ पकड़ा गए बस चालक रामसूरत एक साथ से गिरोह के साथ है। पूर्व में उसने पुलिस को सूचना देकर कुछ बदमाशों को गिरफ्तार करवा दिया था। बाद में इस गिरोह के लोगों को वह गिरफ्तार कराने की धमकी देता था। लिहाजा उन्होंने उससे समझौता कर लिया। रामसूरत ने उनका सहयोग करने के लिए प्रतिदिन एक हजार रुपये की मांग की चाहे कोई घटना करें या न करें लेकिन उन्हें यह रकम देनी होती थी। शर्त माने पर उसने गिरोह सहयोग करना शुरू कर दिया।
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गिरोह में रसोईया व धोबी भी
गिरोह काफी संगठित तरीके से काम करता था। दोनों स्थानीय आरोपियों को छोड़कर बाकी जिन ग्यारह को गिरफ्तार किया गया है, उनमें सभी का काम बंटा था। कुछ के पास खाना बनाने और साथियों का कपड़ा साफ करने की जिम्मेदारी थी तो कुछ मालदार यात्रियों की रेकी करते थे। बाकी घटना को अंजाम देते थे। वे बस में दो-दो के ग्रुप में सवार होते थे। जिस यात्री को शिकार बनाना होता था उसका तथा उसके आसपास के अन्य यात्रियों का कुद बदमाश ध्यान बंटाते थे और बाकी मौका देखकर घटना को अंजाम देते थे।