लोहिया के विचार पहले से अधिक प्रासंगिक
गोरखपुर : डा.राम मनोहर लोहिया के विचार सर्वकालिक हैं। उनके जैसे नेता विरले ही होते हैं। यही वजह है कि उनके धुर विरोधी भी उनकी बेहद इज्जत करते थे। उनका पूरा जीवन सामाजिक असमानता के विरुद्ध था। चूंकि किसी न किसी रूप में देश और दुनिया में यह असमानता बढ़ी है, लिहाजा उनके विचार पहले से अधिक प्रासंगिक हो गए हैं।
ये बातें विभिन्न आयोजनों में वक्ताओं ने कही। अवसर था-डा. लोहिया के 103 वीं जयंती का। इस मौके पर सपा की जिला और महानगर इकाई ने संयुक्त रूप से विचार गोष्ठी आयोजित की। जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्ष अवधेश यादव और शहाब अंसारी ने कहा सपा डा.लोहिया के विचारों की असली हिमायती है। गरीबों के हित में प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएं इसका सबूत हैं।
गोष्ठी में जवाहरलाल मौर्य, जफर अमीन डक्कू, मोख्तार अहमद, संदीप, मनुरोजन, रामधारी, सुरेंद्र, सतीश, अवधेश, केके त्रिपाठी, रामदरश यादव और डा. रजनीकांत आदि मौजूद थे।
बिस्मिल भवन पुस्तकालय में समाजवादी जन परिषद की ओर से आयोजित गोष्ठी में प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चंद्र ने कहा-बढ़ते शोषण और अत्याचार को लोहिया के विचारों से ही समाप्त किया जा सकता है। गोष्ठी को शेषमणि, शिवप्रसाद, लक्ष्मीनारायण, रामनवल और जद यू के गौतम लाल और अयोध्या साहनी आदि ने संबोधित किया।
सामाजिक कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अकेला और भाजपा नेता रामप्रीत प्रजापति ने कहा कि डा.लोहिया समाज के सबसे कमजोर तबके उत्थान के सबसे बड़े हिमायती थे। इनके उत्थान से ही असली समाजवाद का सपना साकार होगा। गोष्ठी में किशोर वैश्य, चंदन प्रिय, डीएन मिश्र, गणेश, विजेंद्र, गौरव, रामआशीष, शिवाजी और सलोनी आदि मौजूद थीं।
पूर्वाचल राज्य मुक्ति मोर्चा ने भी कार्यक्रम कर डा.लोहिया को याद किया। कार्यक्रम में जयेंद्र जायसवाल, सुनील पाठक, धु्रव चंद, दीपचंद, सुरेश और सुरेंद्र आदि मौजूद थे।
जिला अधिवक्ता एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष गयानारायण लाल की अध्यक्षता में लोहिया छाया कुंज में कार्यक्रम कर डा.लोहिया को याद किया गया। कार्यक्रम कसे रामसिंह, रामाश्रय त्रिपाठी, दिनेश शाही, लालमन, राजेश श्रीवास्तव आदि ने संबोधित किया। इस मौके पर अधिवक्ताओं की ओर से एक मांग पत्र भी मुख्यमंत्री को भेजा गया।
--------
पार्टी को परिवार तक समेटने वाले समाजवादी नहीं : भाजपा
भाजपा के प्रांत कार्यसमिति के सदस्य नरेंद्र शुक्ला और जगदंबा प्रसाद ने कहा कि डा. लोहिया जातिवाद और परिवारवाद के प्रखर विरोधी थे। जिस दल का केंद्र बिंदु उसका परिवार और जातिवाद हो वह लोहिया का हिमायती नहीं हो सकता।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर