एकता दौड़.. नजर आए मुट्ठी भर भाजपाई
गोंडा: लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयंती पर जिले भर में कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। भाजपा की एकत
गोंडा: लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयंती पर जिले भर में कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। भाजपा की एकता दौड़ तो औपचारिकता निभाने भर ही रही। इसके अतिरिक्त शैक्षिक संस्थानों में भी श्रद्धासुमन अर्पित किए गए।
भाजपा के जिलाध्यक्ष अकबाल बहादुर तिवारी की अगुवाई व नगर अध्यक्ष अमर किशोर बमबम के संयोजन में एकता दौड़ पार्टी कार्यालय से विभिन्न मार्गो पर होती हुई गांधीपार्क पहुंची। गोष्ठी भी हुई। मुख्य अतिथि आदित्य नरायन मिश्र व विशिष्ट अतिथि पूर्व सांसद सत्यदेव सिंह ने सरदार बल्लभ भाई पटेल के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम को पूर्व मंत्री रमापति शास्त्री, शेष नरायन मिश्र, महेश नरायन तिवारी, जिला महामंत्री पीयूष मिश्र, राजाबाबू गुप्ता, केके श्रीवास्तव, मीडिया प्रभारी घनश्याम पांडेय आदि ने संबोधित किया। इस मौके पर धीरेंद्र पांडेय, विद्याभूषण द्विवेदी, अरुण कुमार शुक्ल, डा. ओपी मिश्र, पल्टूराम, राजीव रस्तोगी, डा. रंजन शर्मा आदि मौजूद रहे। उधर, बहराइच रोड स्थित कुष्ठ सेवा केंद्र में रोगियों को फल, मिष्ठान वितरित किए गए। इस मौके पर राम सुरेंद्र, हरीराम, सोमनाथ आदि मौजूद रहे। अपना दल ने कचहरी परिसर में कार्यक्रम किया। इसमें बतौर मुख्यअतिथि प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य राम प्रगट पटेल मौजूद रहे।
केंद्रीय विद्यालय रेल परिसर गोंडा में प्रभारी प्राचार्य सुरेश प्रसाद शर्मा ने चित्र पर पुष्प अर्पित किए। इस दौरान श्यमा कुमार, मुरलीधर, धूसिया, ईश्वर चंद्र, सविता जायसवाल सीएस सिंह, राधारमण दूबे आदि मौजूद रहे।
वजीरगंज संवादसूत्र के अनुसार कस्बा स्थित डाक बंगले पर कार्यक्रम में जर्नादन तिवारी, बाबूलाल शास्त्री, सुरेश सिंह, राम शत्रोहन, अवधेश सिंह, रामचंद्र, अनूप सिंह सहित तमाम लोग मौजूद रहे।
भाजपा का एक सच यह भी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर एकता दौड़। सूत्रों की मानें तो राष्ट्रीय और प्रदेश नेतृत्व ने इसमें पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को कोई लापरवाही न करने की हिदायत भी दी थी, मगर गोंडा का नजारा कुछ चौंकाने वाला रहा। कम से कम भाजपा के लिहाज से तो जरूर। मुख्यालय पर ही करीब एक हजार प्राथमिक सदस्यों वाली भाजपा प्रधानमंत्री के आह्वान के बाद एक सैकड़ा लोग नहीं जुटा पाई। पार्टी के जिम्मेदार आमजनमानस को तो दूर, अपनों को भी नहीं बुला पाए। महिला मोर्चा का भी प्रतिनिधित्व नहीं दिखा। यह हाल तब था जब मोर्च के मुखिया को दस दिन पहले ही कमान सौंपी गई थी।