सियासी लड़ाई में गुम छोटे दल
गोंडा : आइए आपको, यूपी के महासमर में एक और सच से रूबरू कराते हैं। इस बार का चुनाव कुछ खास है। चुनाव
गोंडा : आइए आपको, यूपी के महासमर में एक और सच से रूबरू कराते हैं। इस बार का चुनाव कुछ खास है। चुनाव में रोचकता पैदा करने वाली छोटी पार्टियां चुनावी नक्शे से गायब दिख रही हैं। यह बात अलग है कि कुछ दल पीछे से निर्दलियों की मदद कर रहे हैं।
27 फरवरी को मतदान है। 23.54 लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इसके लिए सातों विधानसभाओं में कुल 87 प्रत्याशी चुनावी समर में हैं। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में कुल 107 प्रत्याशी मैदान में थे। उस वक्त की खासियत थी कि पिछले चुनाव में कई छोटे दलों ने बड़ी पार्टियों के सामने अच्छी खासी चुनौती पैदा कर दी थी। उस चुनाव में जिले की सात में छह विधानसभाओं में प्रत्याशी खड़ा करने वाली पीस पार्टी का कोई भी प्रत्याशी मैदान में नहीं है। यही स्थिति एनसीपी की भी है। उसने पिछले चुनाव में सातों सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। राष्ट्रीय लोकमंच भी इस चुनाव में नदारद है। जनक्रांति पार्टी के नाम पर इस चुनाव में खामोशी है। जनता दल यूनाइटेड व लोकजनशक्ति पार्टी ने भी उस चुनाव में अधिकांश सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए थे। इन पार्टियों से चुनाव लड़ चुके प्रत्याशी आज दूसरे दलों के उम्मीदवारों के साथ है।
यह दल डटे
- इस चुनाव में गौरा विधानसभा से सर्वोदय भारत पार्टी व बहुजन मुक्ति पार्टी ने प्रत्याशी उतारे हैं। कटरा से हमारी अपनी पार्टी व राष्ट्रीय क्रांतिकारी समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार भाग्य अजमा रहे हैं। तरबगंज से महाक्रांति दल भी समर में है। मेहनौन से भारतीय सुभाष सेना, भारत राष्ट्र डेमोक्रेटिक पार्टी, कर्नलगंज में लोकदल के साथ ही भारतीय सुभाष सेना के प्रत्याशी भी है। मनकापुर में जन अधिकार पार्टी, निर्बल इंडियन हमारा शोषित आमदल, बहुजन मुक्ति पार्टी, गोंडा सदर विधानसभा से भारत राष्ट्र डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ ही शिवसेना के प्रत्याशी चुनावी समर में हैं।