बिना माइक्रोप्लान व वाहन के दौड़ाया स्टॉफ, 1.77 करोड़ रुपये भुगतान
गोंडा: स्कूलों व आंगनबाड़ी केंद्रों पर पढ़ रहे बच्चों के सेहत की जांच के लिए संचालित राष्ट्रीय बाल स्
गोंडा: स्कूलों व आंगनबाड़ी केंद्रों पर पढ़ रहे बच्चों के सेहत की जांच के लिए संचालित राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में एक बड़ा खुलासा हुआ है। मोबाइल हेल्थ टीमों का न तो माइक्रोप्लान है न ही वाहन उपलब्ध था। इसके बावजूद इन्हें एक करोड़ 77 लाख रुपए का भुगतान कर दिया गया। प्रकरण की जानकारी प्रमुख सचिव व स्वास्थ्य महानिदेशक को दी गई है। देवीपाटन मंडल के अपर निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य डॉ. सतीश कुमार ने कहा है कि सीएमओ को निर्देश दिया गया है कि जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई करें।
ऐसे हुआ खेल
- मोबाइल हेल्थ टीमों का गठन तो दिसंबर 2014 में हो गया लेकिन उन्हें भ्रमण के लिए वाहन उपलब्ध कराने की प्रक्रिया तीन माह बाद मार्च 2015 में शुरू हुई। इसके 9 माह बाद दिसंबर 2015 में 32 वाहनों के लिए संबंधित ठेकेदार को आदेश जारी किया गया। यही नहीं जांच में पाया गया कि मोबाइल हेल्थ टीमों का वर्ष 2014-15 व 2015-16 का माइक्रोप्लान तक तैयार नहीं किया गया। प्लान व वाहन न होने के कारण टीमें विजिट नहीं कर सकीं। इसके बाद भी एक करोड़ सात लाख 76 हजार रुपये का मानदेय दे दिया गया। दिसंबर 2014 से मार्च 2015 तक का मानदेय भी 70 लाख रुपये दे दिया गया। हैरत की बात तो यह थी कि सितंबर 2015 से मार्च 2016 तक आंगनबाड़ी केंद्रों व स्कूलों में दवाएं तक नहीं थी।
जिम्मेदार के बोल
मामला पुराना है। हालांकि जांच में एक करोड़ 77 लाख रुपये के भुगतान को जवाब मांगा गया है। जिस पर सभी 16 अधीक्षकों से तत्काल रिपोर्ट देने को कहा गया है। उसके बाद शासन को वस्तुस्थिति से अवगत कराया जाएगा। शासन के निर्देश के क्रम में आगे की कार्रवाई की जाएगी।
- डॉ. उमेश ¨सह यादव, सीएमओ गोंडा