पैसे के तराजू में तौली जा रही हमसफर की आखिरी निशानी
गोंडा: मृत्यु प्रमाण पत्र हर व्यक्ति की आखिरी निशानी होती है। छपिया ब्लॉक के खाले गांव निवासी बाबूरा
गोंडा: मृत्यु प्रमाण पत्र हर व्यक्ति की आखिरी निशानी होती है। छपिया ब्लॉक के खाले गांव निवासी बाबूराम की 30 जनवरी 2017 के मौत हो गई थी। नियमानुसार 21 दिन के भीतर मृत्यु प्रमाण पत्र मृतक के परिजनों को मिल जाना चाहिए। सुघरा देवी पति की आखिरी निशानी के लिए ब्लॉक के चक्कर लगा रही है। गांव में तैनात सचिव ने प्रमाण पत्र देने के लिए दो हजार रुपये की मांग की थी लेकिन सुघरा देवी सिर्फ पांच सौ रुपये दे सकीं। जिसके कारण उन्हें प्रमाण पत्र नहीं मिल सका। पीड़ित ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर प्रमाण पत्र दिलाने की मांग की है। मामला छपिया ब्लॉक की ग्राम पंचायत खालेगांव का है। यहां की निवासिनी सुघरा देवी ने मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में कहा है कि उसके पति भारतीय रेलवे में तृतीय श्रेणी के कर्मचारी थे। कैंसर की बीमारी चलते उनकी 30 जनवरी को मौत हो गई थी। 21 दिनों के भीतर मिलने वाला मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं मिल सका। सुघरा देवी ने दो अप्रैल को प्रमाण पत्र के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। गांव में तैनात सचिव ने गांव में पहुंचकर लोगों से जानकारी ली। सचिव ने प्रमाण पत्र देने के लिए दो हजार रुपये की मांग की थी। सुघरा देवी का कहना है कि उसने 500 रुपये प्रमाण पत्र के लिए दे दिए थे, लेकिन इसके बावजूद सचिव ने प्रमाण पत्र नहीं दिया। मामले की शिकायत बीडीओ से करने के बाद सचिव ने प्रमाण पत्र देने से मना कर दिया। पीड़ित ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर प्रमाण पत्र दिलाने की मांग की है।
मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए पैसे की डिमांड करना गंभीर मामला है। इस संबंध में बीडीओ छपिया से रिपोर्ट मांगी जाएगी। रिपोर्ट आने के बाद संबंधित सचिव के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
-अनिल कुमार, जिला विकास अधिकारी गोंडा