शिकायतों पर गंभीर नहीं थानेदार, पीड़ित दौड़ें अफसरों के द्वार
गोंडा केस- एक : खोड़ारे थाना क्षेत्र के हरखूपुर गांव निवासिनी राजपती देवी ने बताया कि उसकी जमीन
गोंडा
केस- एक : खोड़ारे थाना क्षेत्र के हरखूपुर गांव निवासिनी राजपती देवी ने बताया कि उसकी जमीन पर गांव के दबंग अवैध निर्माण करवा रहे हैं। जलनिकासी भी बंद करवा दिया है। जिससे गंदा पानी घर में भरा रहता है। उसने विरोध किया तो उसे मारने-पीटने की धमकी दी गई। उसने तीन बार थाने पर शिकायत की लेकिन थानेदार ने गंभीरता नहीं दिखाई। वह थक-हारकर 60 किलोमीटर चलकर एसपी से मिलने आई है। अब शायद कार्रवाई हो जाए।
केस-दो : खरगूपुर थाना क्षेत्र के फरेंदा शुक्ल गांव निवासी छोटेलाल ने बताया कि उसकी उम्र 60 से अधिक हो चुकी है। अब वह बूढ़ा हो चुका है। पांच-छह दिन पूर्व उसने अपनी जमीन बेच दी थी। जमीन बेचने से उसकी बहुएं नाराज हो गई। उसकी बहुएं उसे जान से मारने की धमकी दे रही हैं। उसने थाने पर शिकायत की लेकिन पुलिस ने गंभीरता नहीं दिखाई। वह एसपी से मिलने आया है।
केस-तीन : नगर कोतवाली क्षेत्र के एक मोहल्ला निवासिनी महिला ने बताया कि उसने दस दिन पहले छेड़खानी का मुकदमा दर्ज कराया था लेकिन पुलिस ने आरोपी की गिरफ्तारी नहीं की। आरोपी ने उसकी बेटी का जीना दूभर कर दिया है। आरोपी उसकी बेटी को मोबाइल पर बात न करने पर जान से मारने की धमकी दे रहा है। नगर कोतवाली पुलिस से शिकायत दर्ज कराई लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही है।
ये चंद मामले पुलिस की कार्यशैली बयां करने के लिए काफी हैं। रोजाना ऐसे मामले पुलिस अफसरों के पास पहुंच रहे हैं लेकिन थानेदारों की कार्यशैली में सुधार नहीं हो रहा है। सोमवार को सीओ सदर भरत यादव कार्यालय में बैठकर पीड़ितों की समस्याएं सुन रहे थे। उनके पास पीड़ितों की लाइनें लगी थी। जो थाने की पुलि¨सग बयां कर रहीं थीं। पुलिस महानिदेशक ने भले ही पुलिस कर्मियों को अनुशासन का पाठ क्यों न पढ़ाया हो लेकिन उनकी मंशा परवान नहीं चढ़ पा रही है। इससे पीड़ितों को थाने में जाते हुए डर बना रहता है। लोग थाने में जाते हुए डरते हैं। जिससे उनकी पीड़ा नहीं दूर हो पा रही है।