चीनी मिलें घोल रहीं पर्यावरण में जहर
गोंडा : चीनी मिल का नाम तो मिठास भरा है लेकिन यहां से निकलने वाला गंदा पानी पर्यावरण में जहर घोल
गोंडा : चीनी मिल का नाम तो मिठास भरा है लेकिन यहां से निकलने वाला गंदा पानी पर्यावरण में जहर घोल रहा है। मिल से निकलने वाला गंदा पानी लोगों व मवेशियों के साथ ही फसलों के लिए जहर बना हुआ है। चीनी मिलें अपना खजाना भरने के लिए सरकारी नियमों की अनदेखी कर रही हैं। चीनी मिलों से निकलने वाले अपशिष्ट व गंदे पानी से न सिर्फ किसानों के खेतों में लगी फसलें खराब हो जाती हैं, बल्कि जहरीला पानी पीने से पशु-पक्षियों की जान चली जाती है। जिसके चलते एनजीटी ने बलरामपुर ग्रुप की चीनी मिलों पर 15 लाख रुपये का जुर्माना भी लगा चुकी है। जिले में चार चीनी मिलें संचालित हैं। बलरामपुर ग्रुप की मनकापुर दतौली व बभनान चीनी मिल से निकलने वाला गंदा पानी आसपास के तालाबों व नदियों के साथ ही गड्ढ़ों में इकट्ठा होता है। ये पानी अधिक होने पर खेतों में भी भर जाता है, जिससे फसलें खराब हो जाती हैं। किसानों की कई बार शिकायत के बावजूद समस्या का समाधान नहीं हो सका। मैजापुर चीनी मिल का गंदा पानी टेढ़ी नदी व बजाजग्रुप की कुंदुरखी चीनी मिल का पानी आसपास के गड्ढों में जाता है।
इनसेट
जहरीली गैस से हुई थी मवेशियों की मौत
-पिछले वर्ष मई माह में मनकापुर चीनी मिल से निकलने वाले गंदे पानी व उससे निकलने वाली जहरीली गैस से कई मवेशी, पक्षियों की मौत हो गई थी। चीनी मिल के करीब रहने वाले दतौली बनकटी गांव के किसान बृजराज के एक दर्जन सूकरों की मौत हो गई थी। मामले की जांच एसडीएम वीके ¨सह से कराई गई थी।
इनसेट
अंधाधुंध पेड़ों की कटान भी बनी वजह
- जंगलों में लगे पेड़ों की कटान भी पर्यावरण प्रदूषण की वजह में शामिल है। लकड़ियों के रूप में पेंड़ कट तो रहे हैं, लेकिन पौधरोपण उस अनुपात में नहीं हो रहा है। जिससे वातावरण प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। हरे पेंड़ो की कटान को रोकने के लिए ठोस प्रयास किए जाने चाहिए।
इनसेट
मेडिकल कचरे के निस्तारण की नहीं है व्यवस्था
-अस्पतालों से निकलने वाले मेडिकल कचरे के निस्तारण की भी कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। अस्पतालों में नामित एजेंसी एक सप्ताह में एक बार कचरा उठाने आती है। कचरे को शहर से बाहर पूरे शिवाबख्तावर के गांव के पास खाली पड़ी जमीन पर डाल दिया जाता है। कूड़ा-करकट तेज हवा चलने से सड़कों के किनारे बिखर जाता है।