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नदी पारकर परिक्रमा यात्रा का प्रवेश

गोंडा: भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या की चौरासी कोसी परिक्रमा यात्रा विभिन्न पौराणिक व ऐतिहासिक स

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Apr 2017 10:43 PM (IST)Updated: Tue, 25 Apr 2017 10:43 PM (IST)
नदी पारकर परिक्रमा यात्रा का प्रवेश
नदी पारकर परिक्रमा यात्रा का प्रवेश

गोंडा: भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या की चौरासी कोसी परिक्रमा यात्रा विभिन्न पौराणिक व ऐतिहासिक स्थलों की परिक्रमा करते हुए मंगलवार की सुबह घाघरा नदी पारकर बहुअन मदार मांझा के दुलारे बाग में पहुंची। यहां पर इनका स्वागत सत्कार करने के लिए ग्रामीणों के साथ ही स्थानीय पुलिस भी मौजूद रही।

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अयोध्या की चौरासी कोसी परिक्रमा का संबंध त्रेतायुग से जुड़ा है। अयोध्या के चक्रवर्ती सम्राट राजा दशरथ का चौथा पन आ गया। बाल सफेद होने लगे लेकिन कोई पुत्र न होने से दुखी रहते थे। अपनी पीड़ा उन्होंने राजपुरोहित गुरु वशिष्ठ जी को बताई। गुरु के निर्देश पर वह श्रृंगी ऋषि आश्रम गए। ऋषि ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराया और दशरथ के घर राम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न पैदा हुए। चौरासी कोसी परिक्रमा बस्ती जिला के मखौड़ा नामक स्थान जहां पर राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ की थी से प्रारंभ होता है। प्रत्येक वर्ष चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि से इसका शुभारंभ होता है। बस्ती, फैजाबाद, अंबेडकरनगर बाराबंकी व गोंडा जिला के विभिन्न पौराणिक व ऐतिहासिक स्थलों की परिक्रमा करते हुए सीता नवमी को अयोध्या में समाप्त होती है। इस यात्रा की अवधि एक माह के करीब होती है।

गोंडा में सर्वाधिक पड़ाव

-परिक्रमा का सर्वाधिक पड़ाव गोंडा जिला में है। जिसमें परसपुर ब्लॉक के बहुअन मदार मांझा दुलारे बाग, तुलसीदास की जन्मभूमि राजापुर व सूकरखेत पसका शामिल है। बेलसर ब्लॉक के बेलहरा व पौराणिक स्थल मां वाराही देवी शामिल है। तरबगंज ब्लॉक के यमदग्नि आश्रम जमथा, नवाबगंज ब्लॉक के पहलवान वीर मंदिर व रेहली प्राथमिक विद्यालय शामिल है। कुल परिक्रमा यात्रा 250 किमी. में होती है। इसमें 85 किलोमीटर गोंडा में होती है।

दुलारे बाग में पहला पड़ाव

-अयोध्या के साधु बाबा गयादास व विहिप के सुरेंद्र ¨सह की अगुआई में मंगलवार को परिक्रमा यात्रा बाराबंकी व गोंडा के बीच बह रही घाघरा नदी को नाव से पारकर दुलारे बाग पहुंची। पांच सौ के करीब परिक्रमार्थी सुबह दस बजे तक नाव से इस पार आ गए थे लेकिन हवा तेज चलने के कारण दोपहर में नाव उस पार नहीं जा सकी जिससे करीब तीन सौ लोग चार बजे के बाद ही इस पार आ सके।

ग्रामीणों ने कराया भोजन

-बहुअन मदार माझा के जो¨गदर ¨सह, भूलन ¨सह, मुन्नी देवी, शिवराम घनश्याम, राजाराम, मंटू ¨सह, पवन ¨सह सहित अन्य लोगों ने परिक्रमार्थियों को भोजन कराया। परसपुर थानाध्यक्ष देवेंद्र पांडेय, एसआइ मुकेश पांडेय, सर्वेश ¨सह आदि परिक्रमार्थियों की अगुवानी करने के लिए सुबह ही दुलारे बाग पहुंच गए। परिक्रमार्थी दुलारे बाग में रात्रि विश्राम करने के बाद बुधवार की सुबह सरयू नदी के तट पर स्थित जंबूघाट की ओर प्रस्थान करेंगे।

कई प्रांत के लोग कर रहे परिक्रमा

-चौरासी कोसी परिक्रमा में उप्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल व बिहार आदि के लोग शामिल हैं। इस बार परिक्रमा में बच्चे व महिलाओं की भी संख्या खूब है। पश्चिमी चंपारन बिहार के छोटू दास ने कहा कि इस परिक्रमा में उन्हें अपार आनंद मिल रहा है। बलरामपुर के हृदय नरायन दास ने कहा कि परिक्रमा करते हुए आज 14 दिन हो गया लेकिन कोई थकान नहीं है। बिहार के सुकई दास व जानकी दास ने कहा कि परिक्रमा कर वह इस लोक के अलावा अपना परलोक भी संवार रहे हैं।


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