टीबी की दवाई खाओ, मिस्ड कॉल से बताओ
गोंडा: टीबी हारेगा, देश जीतेगा के संकल्प के साथ वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने की तैयारी है। इ
गोंडा: टीबी हारेगा, देश जीतेगा के संकल्प के साथ वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने की तैयारी है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग कई स्तर पर प्रयास कर रहा है। विभाग ने ऐसे मरीजों के निगरानी की विशेष योजना बनाई है, टीबी व एचआइवी दोनों से ग्रसित हैं। इनको दी जाने वाली दवाओं पर टोल फ्री नंबर दर्ज किया गया है। दवा खाने के बाद संबंधित रोगी को इस पर मिस्ड कॉल देना है। जिससे पात चल जाएगा कि संबंधित मरीज ने दवा खा ली है। मिस्ड कॉल न देने वाले मरीजों को दवा न लेने वालों की श्रेणी में रखा जाएगा। इसके आधार पर स्वास्थ्य विभाग की टीम इनके घरों पर जाकर उनकी काउंसि¨लग करेगी तथा उन्हें टीबी की बीमारी के बारे में बताएगी।
आज विश्व टीबी दिवस है। जानकारों की माने तो टीबी रोग लाइलाज नहीं है लेकिन नियमित रूप से दवाएं न लेने के कारण टीबी की बीमारी का दायरा बढ़ता जाता है। टीबी बीमारी का मुख्य कारण माइक्रो वैक्टीरियम यूबर क्यूलोसिस नामक जीवाणु है। यह लोगों के शरीर में निष्क्रिय अवस्था में रहता है। अगर किसी मरीज में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है तो ऐसी स्थिति में ये वैक्टीरिया उस व्यक्ति को टीबी की चपेट में ला देता है। टीबी पर नियंत्रण के लिए वैसे छह ट्रीटमेंट यूनिट चल रही है। साथ ही 503 डॉट्स सेंटर संचालित हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2016 में टीबी मरीजों की संख्या 4391 थी। जिसमें से 1831 नए मरीज निकलकर सामने आए थे। नए मरीजों में शून्य से 14 साल तक के 22, 15 से 24 वर्ष के 401, 25 से 34 वर्ष के 35, 35 से 44 साल के 318, 45 से 54 साल के 299, 55 से 64 साल के 232 व 65 साल से अधिक आयु वर्ग के 126 मरीज शामिल हैं। इसके साथ ही सभी सीएचसी व पीएचसी पर आने वाली गर्भवती महिलाओं की टीबी व एचआइवी की जांच की जा रही है। अहाना परियोजना की शिवानी की माने तो टीबी मरीजों की जांच के लिए आशा व एएनएम को जागरूक किया जा रहा है। इधर, जिले के निजी चिकित्सालयों में आने वाले टीबी मरीजों का ब्योरा संकलित किया जा रहा है। जिसके आधार पर उनकी मॉनीट¨रग की कवायद तेज कर दी है।
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लोगों में लाई जाएगी जागरूकता
-क्षय रोग कार्यक्रम के जिला समन्वयक विवेक सरन का कहना है कि क्षय रोग पर नियंत्रण के लिए कई स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। जिला समन्वयक अनुराग पांडेय ने कहा कि 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस के अवसर पर नुक्कड़ नाटक व अन्य कार्यक्रम कराए जाएंगे। टीबी एचआइवी के जिला समन्वयक अर¨वद कुमार मिश्र का कहना है कि सामान्य तौर पर टीबी की बीमारी छह से नौ महीने में सही दवाओं के इस्तेमाल से ठीक हो जाती है लेकिन मरीजों को सलाह दी जाती है कि वह दवाओं का प्रयोग नियमित तौर पर करें। दवाएं तब तक जारी रखें जब तक डॉक्टर बंद करने की सलाह न दें।