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श्रीराम व सीता का विवाह अलौकिक

गोंडा: स्थानीय रामलीला मैदान में श्रीबालाजी महोत्सव में चल रहे श्रीराम कथा के दूसरे दिन कथावाचक राजर

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Mar 2017 11:55 PM (IST)Updated: Thu, 23 Mar 2017 11:55 PM (IST)
श्रीराम व सीता का विवाह अलौकिक
श्रीराम व सीता का विवाह अलौकिक

गोंडा: स्थानीय रामलीला मैदान में श्रीबालाजी महोत्सव में चल रहे श्रीराम कथा के दूसरे दिन कथावाचक राजराजेश्वरी देवी ने राम व सीता के विवाह का प्रसंग सुनाया।

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उन्होंने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति में सबसे वृहद और वृशद अनुष्ठान के साथ विवाह होता है। प्रभु श्रीराम और मां सीता का विवाह अलौकिक है। श्रीराम-सीता का सनातन संयोग है। सनातन धर्म में तीन स्वयंवर मुख्य होते हैं। जिनमें प्रथम पर्ण स्वयंवर, द्वितीय इच्छा स्वयंवर और तीसरा शौर्य शुल्क स्वयंवर है। सीता के स्वयंवर में बड़े-बड़े राक्षस भी राजकुमार बनकर पहुंचे थे। जनक धनुष की पूजा करते थे। एक दिन मां जानकी ने कहा की पिता पूजा में सम्मिलित होने मैं भी चलूंगी। जब पिता पुत्री पूजन के लिए गए तो मां सीता ने उस धनुष को उठा करके पीछे-पीछे महल तक चली आईं। यह देख कर राजा जनक को बड़ा आश्चर्य हुआ कि जिस धनुष को बड़े-बड़े बलशाली राजा व वीर हिला तक न सके उसे नन्हीं पुत्री ने उठा लिया। उसी दिन राजा जनक ने प्रतिज्ञा कर लिया था कि शिव धनुष को जो भी तोड़ेगा सीता का विवाह उसी से होगा। वजीरगंज संवादसूत्र के अनुसार बालेश्वरनाथ मंदिर पर हो रहे रुद्र महायज्ञ के दौरान प्रवचन करते हुए संत दामोदर दास ने राम जन्म प्रसंग का वर्णन किया। उन्होंने मानस की चौपाई का उदाहरण देते हुए कहा कि जब-जब होइ धर्म कै हानी। जब धरती पर धर्म विरुद्ध कार्य होने लगता है। पाप कर्मों को प्राथमिकता मिलने लगती है। भगवान के भक्तों को पीड़ित किया जाने लगता है उस समय ईश्वरीय अवतार अवश्यभावी हो जाता है। राम जन्म के हेतु अनेका का उल्लेख करते हुए कहा कि राम जन्म के अनेक कारण थे। मनु सतरूपा को दिए वर को पूरा करने, रावण सहित विभिन्न राक्षसों का वध करने व मर्यादा की स्थापना के लिए राम का औतार हुआ। यज्ञ के पांचवें दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। लोगों ने मंडप की परिक्रमा की। वृंदावन से आई रासलीला मंडली ने राम व रासलीला का मंचन किया।


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