महासमर बॉटम:: सोशल मीडिया पर चला आयोग का डंडा, निगरानी हुई तेज
गोंडा: दैनिक जागरण ने 15 जनवरी के अंक में सोशल मीडिया से चुनावी वैतरणी पार करने की आस शीर्षक से समाच
गोंडा: दैनिक जागरण ने 15 जनवरी के अंक में सोशल मीडिया से चुनावी वैतरणी पार करने की आस शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था, जिसमें विभिन्न राजनैतिक दलों द्वारा चुनाव प्रचार के लिए सोशल मीडिया को हथियार बनाए जाने का हवाला दिया था। इस पर अब आयोग ने शिकंजा कस दिया है। आयोग ने सोशल मीडिया पर जारी होने वाले राजनीतिक विज्ञापन को भी दायरे में लिया है। यहां पर विज्ञापन जारी करने से पहले राजनीतिक दलों व प्रत्याशियों को सक्षम अधिकारी से पहले अनुमति लेना होगा। बिना अनुमित के विज्ञापन नहीं प्रसारित किया जा सकता है। आयोग ने विकीपीडिया, ट्विटर, यू ट्यूब, फेस बुक, एप्स, बल्क मैसेज, वॉयस मैसेज को सोशल मीडिया माना है। यही नहीं आयोग ने यह भी कहा है कि प्रत्याशियों को नामांकन के समय प्रपत्र 26 में दाखिल किए जाने वाले शपथपत्र में प्रत्येक अभ्यर्थी को अपने सोशल मीडिया के अकाउंट का विवरण देने को कहा गया है। अगर कोई तथ्य छिपाता है तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
डीएम आशुतोष निरंजन के मुताबिक सोशल मीडिया में प्रचार पर होने वाला व्यय भी चुनावी खर्च में माना जाएगा। इसमें अन्य बातों के अलावा विज्ञापनों को कैरी करने के लिए इंटरनेट कंपनियों व वेबसाइटों को किए गए भुगतान के साथ-साथ विषय वस्तु के निर्माण पर होने वाले खर्च तथा सोशल मीडिया अकाउंट्स को सक्रिय रखने के लिए लगे कर्मियों को दिए जाने वाला वेतन भी इसमें शामिल किया गया है। साथ ही चुनाव प्रचार के लिए भेजने जाने वाले बल्क एसएमएस की सूचना मिलने पर इसे निर्वाचन अधिकारी के संज्ञान में लाया जाएगा। संबंधित मोबाइल कंपनियों से इसके प्रसारण का विवरण लिया जायेगा। इसके बाद इस पर होने वाले खर्च को प्रत्याशी के खर्च में जोड़ा जाएगा।
दर्ज होगा मुकदमा
- अगर कोई एसएमएस आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने की श्रेणी में आता है तो उस पर पुलिस मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई करेगी। इसके लिए सभी टीमों को निर्देश दे दिया गया है। चुनाव प्रचार की समय सीमा समाप्त होने के साथ ही प्रचार से जुडे थोक मैसेज भेजने पर भी रोक लग जाएगी।