सोशल मीडिया से चुनावी वैतरणी पार करने की आस
गोंडा: विधानसभा चुनाव में अब सोशल मीडिया का सहारा नेताओं को है। कोई फेसबुक पर दांव लगा रहा है तो कोई
गोंडा: विधानसभा चुनाव में अब सोशल मीडिया का सहारा नेताओं को है। कोई फेसबुक पर दांव लगा रहा है तो कोई वाट्स एप की मदद ले रहा है। इसके लिए नेताओं ने कई स्तर पर तैयारी की है। किसी ने इसके लिए वार रूम तैयार किया है तो किसी ने युवाओं को जिम्मेदारी सौंपी है। वैसे चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे महारथी चुनावी वैतरणी पार करने के लिए हर तरह की जुगत लगा रहे हैं।
जिले में पांचवें चरण में विधानसभा चुनाव होना है। इसको लेकर प्रशासन ने निर्वाचन आयोग द्वारा मिलने वाले निर्देश के क्रम में कार्रवाई शुरू कर दी है। चौक चौराहों पर लगने वाली होर्डिंगों व पोस्टर को उतरवा दिया गया है। ऐसे में अब नेता सोशल मीडिया पर आ गए हैं। दरअसल, गांवों में भी एंड्रॉयड फोन की उपलब्धता को देखते हुए मतदाताओं से जुड़ने के लिए इनकी मदद ली जा रही है। कई नेता खुद ही सोशल मीडिया पर लगे हुए हैं। किसी ने इसके लिए प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं की टीम लगाई है तो किसी ने अन्य इंतजाम किए हैं। इसमें नेताओं के हर दिन का जनसंपर्क व अन्य जानकारियां वीडियो व फेसबुक पर अपडेट किया जाता है। नेताओं के साथ ऐसे कार्यकर्ताओं की तैनाती होती है, जो उनके साथ रहकर फोटो व अन्य जानकारियों पर निगरानी करते थे। यही नहीं अधिकांश नेताओं के फेसबुक पर पेज हैं। जिसमें नेताओं का दौरा व अन्य कार्यक्रम जारी किया जाता है।
वाट्सएप पर भी है ग्रुप
- कई नेताओं ने अपने विधानसभा क्षेत्रों में रहने वाले मतदाताओं के नंबर एकत्र किए हैँ। इनको वाट्सएप ग्रुप में जोड़कर उन पर सुबह शाम मैसेज किए जा रहे हैं। किसी ने फैंस क्लब बनाया है तो किसी अन्य क्लब। इसके माध्यम से लोगों को नेताजी की गतिविधि के बारे में जानकारी दी जा रही है।
होता है प्रबंध
- सोशल मीडिया को अपडेट करने के लिए वार रूम को हाईटेक बनाया गया है। यहां पर लैपटॉप व 4 जी इंटरनेट कनेक्शन सहित वाई-फाई का भी प्रबंध किया गया है। एंड्रॉयड मोबाइल फोन के साथ ही यहां पर टीवी का भी प्रबंध किया गया है। इनका काम हर दिन फेसबुक, ट्विटर पर अपने प्रत्याशी के समर्थन में वीडियो और वॉयस मैसेज भेजने का होता है।
रखी जा रही नजर
- डीएम आशुतोष निरंजन ने बताया कि जिला स्तर पर जिला सूचना अधिकारी को नोडल अधिकारी नामित करते हुए प्रिन्ट मीडिया, न्यूज चैनल, सोशल मीडिया, फेसबुक, वाट्सएप एवं अन्य प्रचार-प्रसार के माध्यमों पर गहरी निगरानी करने के निर्देश दिए गए हैं। कलेक्ट्रेट में मीडिया कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है।